असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं के समूह जी-23 समूह का मुखर चेहरा गुलाम नबी आजाद…
पिछले कुछ हफ्तों से जम्मू-कश्मीर में बैठकें कर आलाकमान को निशाने पर ले रहे हैं। इस कड़ी में गौर करने वाली बात यह है कि उनका जनसंपर्क अभियान कांग्रेस पार्टी के चुनावी कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री की क्षेत्रीय राजनीति में नई संभावित भूमिका की चर्चा घाटी के राजनीतिक हलकों में तेज हो गई है। आजाद ने हालांकि, चर्चाओं और अटकलों को खारिज करते हुए दावा किया कि कांग्रेस नेतृत्व से उनकी असहमति के बावजूद एक अलग राजनीतिक दल बनाने की तत्काल कोई योजना नहीं है। ऐसी भी अटकलें हैं कि भाजपा गुलाम नबी आजाद को अपने पाले में लाने के लिए साधने का काम कर रही है।
इस बीच ऐसी बातें भी सामने आ रही हैं कि आजाद को अगले विधानसभा चुनाव में जम्मू संभाग से सीएम सुनिश्चित करने के लिए भाजपा से पर्दे के पीछे का समर्थन मिल सकता है। गौरतलब है कि किश्तवाड़ के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम अहमद सरूरी ने एक बयान में कहा था कि जम्मू में सभी समुदायों के लोगों के राहुल गांधी से मिलने पर गुलाम बनी आजाद को जम्मू-कश्मीर में पार्टी के अगले मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में घोषित करने की मांग की गई थी।
पिछले कुछ हफ्तों में, गुलाम नबी आज़ाद ने जम्मू के पीरपंचल और चिनाब क्षेत्रों और दक्षिण कश्मीर के कुछ हिस्सों में प्रभावशाली उपस्थिति के साथ लगभग दस सार्वजनिक रैलियों को संबोधित किया है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम ने जमीनी स्तर पर जनप्रतिनिधियों और मतदाताओं के साथ दर्जनों बैठकें भी कीं। गुलाम नबी आजाद ने जम्मू में एक रैली के दौरान संबोधन में कहा कि मेरी अभी तत्काल कोई पार्टी बनाने की कोई योजना नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य का कोई नहीं जानता कि राजनीति में आगे क्या होता है।
मीर के खिलाफ आजाद के करीबी माने जाने वाले नेताओं का विद्रोह और अब आजाद का पार्टी पर हमला पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकता है। ऐसी संभावना है कि जब तक निर्दलीय चुनाव आते हैं, तब तक वे अपनी खुद की पार्टी बना सकते हैं और कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह भारतीय जनता पार्टी के साथ चुनावी समझौता कर सकते हैं। आजाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं। जिस भावना के साथ पीएम मोदी ने आजाद के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए राज्यसभा में नम आंखों से आजाद को विदाई दी थी, सूत्रों की मानें तो उसी समय से अटकलें लगाई जा रही थीं कि या तो आजाद भाजपा में शामिल होंगे और फिर अपनी नई पार्टी बनाएंगे और चुनाव ने भाजपा के सहयोगी बनेंगे।
जिस तरह कृषि कानून को वापस लेने के लिए पंजाब में अमरिंदर सिंह को श्रेय दिया जा रहा है, उसी तरह चुनाव से ठीक पहले जम्मू-कश्मीर को एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है। जम्मू और कश्मीर में बीजेपी जम्मू क्षेत्र में मजबूत और कश्मीर में कमजोर है। आजाद के साथ गठबंधन बीजेपी और आजाद दोनों को मजबूती देगा। यह भी मान कर चलना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी गुलाम नबी आजाद को मनाने की कोशिश नहीं करेगी क्योंकि कांग्रेस पार्टी से कहीं बड़ा राहुल गांधी का ईगो जो है।