लखनऊ/दिनांक 22 जुलाई 2024
बलरामपुर जनपद के “आंबेडकर नगर के” लाल को लखनऊ विश्व विद्यालय से मिली पीएचडी की उपाधि
इरादें बुलंद हो तो कामयाबी मिल ही जाती है..”गांव से निकले गरीब,मध्यम वर्गीय परिवेश से आए हर एक विद्यार्थी का सपना होता है कि वो उच्च शिक्षा ग्रहण करे। क्योंकि शिक्षा ही वह नींव है जिससे हम अपने भविष्य का निर्माण कर सकते हैं तथा जीवन को अंधेरे से प्रकाश कि ओर ले जा सकते हैं”
#बलरामपुर..आपको बता दें कि ऐसा ही कुछ सपना संजोए आंबेडकर नगर जनपद बलरामपुर के एक छोटे से गांव से निकले अनिल कुमार गौतम पुत्र जोखन प्रसाद ने देश के प्रतिष्ठित लखनऊ विश्वविद्यालय (A++ by NAAC)
से पीएचडी की उपाधि से अलंकृत हुए। यह शोध इनका संस्कृत विषय की प्रो. अरुणा शुक्ला मैम के निर्देशन में संपन्न हुआ है। बचपन से ही ये एक होनहार और प्रतिभाशाली छात्र रहें हैं घर में छः भाई बहनों में सबसे बड़े तथा तमाम ज़िम्मेदारियों के बावजूद इन्होंने इस डिग्री को हासिल किया है। ये बताते हैं कि इससे पहले इनके घर में कोई भी पीएचडी डिग्री लेना तो दूर कोई सोचा भी नही था। ये डिग्री हासिल करने वाले ये अपने घर के प्रथम पीढ़ी के पहले सदस्य हैं। इनका पूरा परिवार लंबे अरसे तक गरीबी और जहालत की ज़िंदगी जीते हुए कभी भी शिक्षा का दामन नहीं छोड़ा।अनिल कुमार गौतम कहते हैं की ये मेरे लिए एक सपने की तरह है। इनके माता पिता इतना संघर्ष, इतना संघर्ष किया कि देखने वाले दंग रह जाते, मजदूरी से लेकर मनरेगा तक में पूरा जीवन खपा दिया शिक्षा दिलाने में…बगैर किसी भेदभाव के चाहे बेटे हों या बेटी शिक्षा दिलाने में कभी पीछे नहीं रहे।
अनिल कुमार गौतम चार भाई दो बहनों में सबसे बड़े हैं। साथ ही साथ अपने छोटे भाई बहनों को शिक्षा की सही राह दिखाते हुए गांव का सबसे सुशिक्षित परिवार है। मां बाप इतने दृढ़ संकल्पित थे कि कच्चे घर की टपकती छत सही नहीं कर पाते पर शिक्षा दिलाने में कभी पीछे नहीं रहे। इनका पूरा परिवार गरीबी और मुश्किल हालतों से इस क़दर लड़ने का ठाना कि मुश्किल हालतों को हारना ही पड़ा। वक्त के दरकते मौसम में गरीबी का पहाड़ हटा नहीं की तभी मां को ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी ने दस्तक दे दिया। ख़ुदा ने एक नए मुश्किल हालतों की भट्टी में झोंक दिया पूरा परिवार पूरे एक साल जूझते हुए जी जान लगा दिया मगर मां को बचाने में नाकामयाब रहे…पूरा परिवार इस क़दर टूट गया कि खड़े होने की ज़रा भी हिम्मत न बची,मगर सिर्फ हौसले के दम पर उठ खड़े होने का जतन किया और आज डॉक्टरेट की उपाधि लेकर इतिहास रच दिया। अनिल कुमार कहते हैं कि डॉक्टरेट कि उपाधि से मुझे खुशी भी है तो वहीं मां के न होने का ग़म भी है।
पूर्व विभागध्यक्ष संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ के प्रो. अरुणा शुक्ला के निर्देशन में अनिल गौतम पी एच डी की उपाधि से विभूषित हुए। बाह्य परीक्षक के रूप में जम्मू विश्वविद्यालय जम्मू के संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. सुषमा देवी ऑनलाइन मोड से उपस्थित होकर परीक्षा को संपन्न कराया।
मौखिक परीक्षा में पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.राम सुमेर यादव की गरिमामयी उपस्थित में यह परीक्षा संपन्न हुई। प्रो. राम सुमेर यादव ने कहा अनिल गौतम की पी-एच.डी. की उपाधि उसके विद्याध्ययन और साधना का परिणाम है। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की पूर्व सर्वेक्षिका डॉ.चंद्रकला शाक्य उपस्थित होकर अपना आशीर्वाद दिया और उन्होंने कहा कि अनिल गौतम मेहनत और परिश्रम के बल पर आगे बढ़ते रहें ।
इस अवसर पर संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग के कोऑर्डिनेटर डॉ अभिमन्यु सिंह, सहायक प्रो. डॉ.बृजेश कुमार सोनकर,डॉ.गौरव सिंह, डॉ. सत्यकेतु, डॉ.अशोक सत्यपथी, डॉ. रिचा पांडे आदि उपस्थित रहे। गृहे गृहे संस्कृतम् योजना में कार्य कर रहीं प्रशिक्षिका मुन्नी देवी, अर्चना राय और ज्योति सिंह भी उपस्थित रहीं…पण्डित बेअदब लखनवी