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आठवॉ दीक्षान्त समारोह पर आनंदी बेन पटेल ने छात्र/छात्राओ को 36स्वर्ण पदक एवं 30छात्र/छात्राओ को पीएचडी की उपाधि दी गई

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सिद्धार्थनगर 01 अक्टूबर 2024

आठवॉ दीक्षान्त समारोह पर आनंदी बेन पटेल ने छात्र/छात्राओ को 36स्वर्ण पदक एवं 30छात्र/छात्राओ को पीएचडी की उपाधि दी गई

आठवॉ दीक्षान्त समारोह के अवसर पर कुलाधिपति/राज्यपाल उ0प्र0 आनंदी बेन पटेल ने छात्र/छात्राओं एवं उनके माता पिता को दी बधाई एवं शुभकामनाएं।

शासन द्वारा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राज्यपाल/कुलाधिपति/महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल जी का आगमन सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर में विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किये गये आठवॉ दीक्षान्त समारोह में उपस्थित होकर विश्वविद्यालय की गरिमा को बढ़ाकर गौरवान्वित किया गया।
कुलाधिपति/महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल, मुख्य अतिथि कुलपति केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ, वाराणसी प्रो0 वड.छुग दोर्जे नेगी, विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी, कुलपति प्रो0 कविता शाह तथा द्वारा द्वीप प्रज्ज्वलित कर एवं मां शारदा के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित किया गया तथा आठवॉ दीक्षान्त समारोह का औपचारिक शुभारम्भ किया गया। कुलपति सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु प्रो0 कविता शाह द्वारा राज्यपाल/ कुलाधिपति श्रीमती आनन्दी बेन पटेल जी तथा मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि को पुष्प देकर स्वागत किया गया। आठवॉ दीक्षान्त समारोह के अवसर पर प्रकाशित उत्कर्ष स्मारिका का राज्यपाल/कुलाधिपति श्रीमती आनन्दी बेन पटेल तथा मुख्य अतिथि एवं कुलपति प्रो0 कविता शाह द्वारा विमोचन किया गया। इसके पश्चात छात्र/छात्राओं द्वारा बन्दे मातरम गीत की प्रस्तुति की गयी,राज्यपाल/कुलाधिपति श्रीमती आनन्दी बेन पटेल द्वारा आठवॉ दीक्षान्त समारोह के अवसर पर कहा कि मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है। यह बुद्ध की पावन धरती है। मैं इस धरती को प्रणाम करती हूॅ। यहां पर गौतम बुद्ध ने विश्व को शान्ति का सन्देश दिया। यह भूमि देश-विदेश के लोगो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है।

आज आठवॉ दीक्षान्त समारोह के अवसर पर स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले छात्र/छात्राओ को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आप लोग शिक्षा प्राप्त कर अपने विद्यालय का नाम रोशन करे। आप लोग शिक्षा प्राप्त कर समाज में परिवर्तन ला सकते है। आप लोग अपने माता पिता से प्रेरणा लेकर आप लोग समाज को आगे बढ़ाने में काम करे। आज लडको की अपेक्षा लड़कियों को अधिक मेडल प्राप्त हुआ है। डिग्री प्राप्त करने में भी लड़किया आगे है। मेडल पाने वाले छात्र/छात्राओं के परिजनो व माता पिता को भी बधाई दिया। राज्यपाल ने कहा कि मेरे द्वारा सम्पूणानन्द संस्कृत विश्वविद्याय वाराणसी का भ्रमण किया गया जहां पर संस्कृति की पाण्डु लिपियां खराब हो रही थी। मेरे द्वारा प्रधानमंत्री भारत सरकार नरेन्द्र मोदी से कहकर पाण्डु लिपियों को डिजिटल कराने हेतु कहा कि इन पाण्डुलिपियों को संग्रहीत करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशानुसार एक से डेढ़ वर्ष में सभी पाण्डु लिपि का डिजिटलाइजेशन हो जायेगा।

राज्यपाल ने कहा कि मध्यम वर्ग के बच्चे विदेशों में पढ़ने नही जा पाते है जिसके लिए एमओयू साइन कराकर कि विदेशो के यूनिवर्सिटी के अध्यापक बच्चों को आनलाइन पढ़ाये। आज नये भारत का निर्माण हो रहा है। आज का युवा देश का भविष्य है। हमारे देश में युवाओ की कमी नही है। आज युवा शक्ति पर भरोसा है। आप लोग देश को आगे बढ़ाने में सहयोग करे और भारत को वर्ष 2047 तक विकसित देश बनाना है। राज्यपाल ने कहा कि मै भी गांव के स्कूल में पढ़ी हूॅ तथा कालेज भी गांव में ही था। गांव के बच्चे शहरो के बच्चो की अपेक्षा आगे है। गांव केे बच्चे होनहार होते है। आज सबसे ज्यादा आंगनबाड़ी में कार्य करने की आवश्यकता है। जन्म से ही यदि बच्चो का ध्यान रखेेंगे तो उन्हे बीमारियों से मुक्त रखेंगे तथा कम बीमारी होगी। राज्य पाल ने जिलाधिकारी तथा मुख्य विकास अधिकारी को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर किट भेजने हेतु बधाई और शुभकामनाएं दी। राज्यपाल ने कुलपति एवं कुलसचिव को निर्देश दिया कि राजभवन से छात्र/छात्राओं को आने जाने हेतु जो बस आज दी गयी है वह निःशुल्क होगी। किन्तु यदि किसी टूर या इन्टर्नशिप के लिए जाने पर फीस देना होगा। राज्यपाल/कुलाधिपति श्रीमती आनन्दी बेन पटेल ने पुनः आठवॉ दीक्षान्त समारोह के सफल आयोजन हेतु बधाई दी।

मुख्य अतिथि कुलपति केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ, वाराणसी प्रो0 वड.छुग दोर्जे नेगी ने आठवॉ दीक्षान्त समारोह के अवसर पर उपस्थित शिक्षा जगत के आचार्य, प्राचार्य, छात्र एवं छात्राओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर के आठवें दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता कर रहीं कुलाधिपति एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश श्रीमती आनंदीबेन पटेल, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कविता शाह, कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सम्माननीय सदस्यगण, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण विश्वविद्यालय के प्राध्यापक अधिकारी तथा कर्मचारीगण, माननीय जन प्रतिनिधि प्रशासनिक अधिकारीगण उपाधि ग्रहण करने वाले सभी शिक्षार्थीगण, इस भव्य समारोह में उपस्थित सभी सम्माननीय अतिथिगण का स्वागत करते हुए कहा कि मेरे लिए अत्यन्त गर्व का विषय है कि मै आज महर्षि कपिल द्वारा स्थापित कपिलवस्तु में सिद्धार्थ गौतम के नाम से स्थापित सिद्धार्थ विश्वविद्यालय जो प्राचीन श्रमण और ब्राहम्ण परम्परा का वाहक तथा आधुनिक विद्या का केन्द्र है, मे उपस्थित हूॅ। इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षान्त समारोह के शुभ अवसर पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ एवं कनिष्ठ आचार्यगण तथा छात्र-छात्राओं के मध्य पाकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हॅ। भारतीय विद्या परम्परा में सा विद्या या विमुक्तये की शिक्षा का वास्तविक अर्थ है। शिक्षा वह है जो हमे भौतिक अभाव तथा मानसिक अज्ञानता से विमुक्त करती है। इसी तरह बसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धान्त पर समूचे विश्व को अपना परिवार मानना यही भारतीय संस्कृति की दृष्टि है। यह संसार हमारा एक परिवार है। इस प्रकार का उदात्त विचार भारतीय अध्यात्म विद्या ही दे सकता है।

आज समूचा विश्व मत्स्य-न्याय और अति भौतिकतावादी सोच के कारण युद्ध की विभीषिका से त्रस्त है। आज की ऐसी वैश्विक परिस्थिति में अध्यापकों और छात्रों का दायित्व और भी अधिक बढ़ जाता है। अत राष्ट्र का विकास कैसे होगा. राष्ट्र कैसे आगे बढ़ेगा और अन्ततः विश्व समुदाय का कल्याण कैसे होगा, हमें इन बातों पर गहराई से चिन्तन-मनन करने की आवश्यकता है. क्योंकि राष्ट्र निर्माण का सबसे अधिक दायित्व छात्रों और अध्यापकों पर होता है। ऐसी व्यापक जीवन-दृष्टि ही मानव-जीवन की सार्थकता को सिद्ध करती है। इसी उद्देश्य से तथागत बुद्ध ने भी संघ की स्थापना की, जिसमे भिक्षु-मिधुणी उपासक-उपासिका आदि सभी लोगों को विश्व-कल्याण एवं लोक-कल्याण के लिए प्रेरित किया। आज हमें देश में ऐसी शिक्षा संस्थाओं की आवश्यकता है, जहाँ आध्यात्मिक, भौतिक तथा सांस्कृतिक उन्नयन के लिए सम्यक शिक्षा प्रदान कर मानव-कल्याण के लिए अच्छे शिक्षाविद, अच्छे राजनीतिज्ञ, अच्छे आध्यात्मिक चिन्तक, अच्छे कृषि वैज्ञानिक, अच्छे तकनीकी विशेषज्ञ और अच्छे उद्योगपति के उच्च मानदण्ड को स्थापित कर सके। इन महान आदर्शों की स्थापना के सिए सिद्धार्थ विश्वविद्यालय राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर काम करेगी ऐसा मुझे विश्वास है। जैसा कि यह विश्वविद्यालय भारत और नेपाल की सरहद पर विश्वविख्यात लुम्बिनी (कपिलवस्तु) के समीप स्थापित है। आज लुम्बिनी (कपिलवस्तु) अन्तरराष्ट्रिय आध्यात्मिक जगत् का केन्द्र बना हुआ है। जहाँ पर स्थविरवाद, महायान, वज्रयान सहित विश्व के अनेकानेक बौद्ध परम्पराओं के विहार, मठ धार्मिक शिक्षा-सस्थान एवं ध्यान के केन्द्र मौजूद है। ऐसे अन्तरराष्ट्रिय परिवेश के समीप स्थापित इस विश्वविद्यालय का महत्त्व अत्यधिक बढ़ जाता है। साथ ही इस विश्वविद्यालय का यह भी दायित्व बनता है कि वह इन अन्तरराष्ट्रिय केन्द्रों से सम्बन्ध स्थापित कर नेपाल, चीन, जापान, कोरिया, म्यांमार इंडोनेशिया, वियतनाम अमेरिका, यूरोप तिब्बत एवं भारतीय हिमालयी क्षेत्रों के अध्येताओं के साथ भारतीय धर्म दर्शन एवं चिन्तन की शिक्षा का आदान-प्रदान कर विश्वविद्यालय को एक नया आयाम दें। दूसरी ओर भारत-नेपाल की सीमा पर स्थापित इस विश्वविद्यालय के चारों ओर का परिवेश गाँव और कस्चों का है, जहाँ अधिकतर कृषक समूह निवास करते हैं। इस भूभाग के लोगों के आर्थिक विकास के लिए भी यह विश्वविद्यालय कृषि सम्बन्धी वैज्ञानिक खोज, जलवायु सिंचाई, मौसम विज्ञान आदि क्षेत्रों में आधुनिक विज्ञान एवं तकनीक का प्रयोग तथा कौशल विकास के द्वारा कुटीर उद्योग तथा अन्य रोजगार परक लघु उद्योगों के संचालन में भी सहयोग प्रदान कर विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य अप्प दीपो भव के अनुरूप यहाँ के निवासियों के आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन को एक नयी दिशा प्रदान करने का काम करेगी, ऐसी अपेक्षा है। निस्संदेह, इन सभी दायित्वों के निर्वहन में अपने नाम के अनुरूप सिद्धार्थ विश्वविद्यालय मील का पत्थर सिद्ध होगा,आज उपस्थित सभी विद्यार्थी जिस किसी भी विषय में उपाधि लेकर विश्वविद्यालय से निकल रहे हैं, आप सभी से मेरा आग्रह पूर्वक निवेदन है कि जैसे तथागत बुद्ध ने विनयमहावग्ग में कहा था- चरथ भिक्खवे चारिक बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोकानुकम्पाय अत्थाय हिताय सुखाय देवमनुस्सानं अर्थात् बहुजनों के हित के लिये, बहुजनों के सुख के लिये, लोक पर दया करने के लिये, मनुष्य और देवों के प्रयोजन के लिये, आदि कल्याण, मध्य कल्याण और अन्त में कल्याण के लिये अपने को समर्पित करो, का अनुकरण कर राष्ट्र के विकास के लिये अपने को समर्पित करें । अन्त में, दीक्षान्त समारोह में उपस्थित सभी महानुभावों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपनी वाणी को विराम देने से पूर्व, सभी स्नातकों, परा-स्नातकों तथा शोधार्थियों को हार्दिक शुभकामनायें देता हूँ और आप सभी छात्रों के उत्तम स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना करता हूँ। आप सभी छात्र राष्ट्र के विकास में मील का पत्थर सिद्ध होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने गोल्ड मेडल पाने वाले सभी छात्र/छात्राओं को बधाई दी, तथा उनके माता-पिता वगुरूजनो को भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे यहां आने का अवसर मिला है। आज का दिन अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है। आप लोगेा से बहुत सारी अपेक्षाये है। राष्ट्र के प्रति आप लोगो की जिम्मेदारी बढ़ जायेगी। आप लोग यहां से सारी अच्छी चीजे यहां से सीखकर जा रह है। आप जहां भी काम करे अपनी एक अलग छाप छोड़े। देश की आजादी के 100 वर्ष पूर्ण होने पर वर्ष 2024 तक हमारा देश विकसित देश देश होगा। यह भगवान बुद्ध की धरती है। यहां से सत्य, अंहिसा व करूणा का सन्देश पूरे विश्व को गया है।

कुलपति सिद्धार्थ विश्वविद्यालय प्रो0 कविता शाह ने बताया कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह की अध्यक्ष कुलाधिपति एवं उ०प्र० की राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल मुख्य अतिथि कुलपति केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ, वाराणसी, विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी, जन प्रतिनिधिगण विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद एवं विद्यापरिषद के सम्मानित सदस्यगण सम्मानीय अतिथिगण, विश्वविद्यालय के आत्मीय शिक्षक बहनों-बन्धुओं अधिकारी तथा कर्मचारीगण मीडिया के प्रतिनिधिगण, उपाधि तथा पदक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं का विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह के अवसर पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करता हूँ। आज के दीक्षान्त समारोह की अध्यक्ष माननीय कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल का स्वयं एवं विश्वविद्यालय परिवार की तरफ से हार्दिक स्वागत है। कुलपति ने कहा कि आज आठवें दीक्षान्त समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी का सन्देश प्राप्त हुआ है। कुलपति प्रो0 कविता शाह ने कहा कि अनुशासन ही पहली प्राथमिकता है। आज विश्वविशलय विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है।

कुलाधिपति महोदया के निर्देशन में विश्वविद्यालय अपनी अलग पहचान बना रहा है। पूरे प्रदेश में परीक्षाफल जारी करने में हमारा विश्व विद्यालय पहले स्थान पर है। विश्व विद्यालय परिसर में स्वास्थ्य केन्द्र संचालित है जिससे यहां के प्रोफेसर एवं समस्त स्टाफ को चिकित्सा सुविधा प्रदान हो रही है प्रत्येक छात्र/छात्रा विश्वविद्यालय का ब्रांड एम्बेस्डर है। आज हम अपने डिग्री होल्डर, गोल्ड मेडलिस्ट, एवं स्नातक एवं परास्नातक उत्तीर्ण विद्यार्थियों को एवं पीएचडी उपाधि प्रदान कर रहे हैं। विद्या वही होती है जो हमें मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करें- सा विद्या या विमुक्तये इसीलिए हमारी यह कामना है कि यहाँ से प्राप्त विद्या आपके लिए भी बन्धन मुक्ति की राह रचे। हमारा ध्येय वाक्य है- अप दीपो भव का अर्थ भी है कि विद्या द्वारा हम स्वयं के दीपक के आलोक से जीवन जीए। आप आजीवन अपने को इस विद्या और उपाधि के योग्य प्रमाणित करते रहें तथा राष्ट्र के पुनर्निर्माण में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें। कुलपति प्रो0 कविता शाह द्वारा मुख्य अतिथि कुलपति केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ, वाराणसी प्रो0 वड.छुग दोर्जे नेगी को डी-लिट की उपाधि दी गयी, 8वॉ दीक्षान्त समारोह कार्यक्रम के अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल द्वारा स्नरातक एवं स्नातकोत्तर में विश्वविद्यालय द्वारा दीक्षान्त समारोह के अवसर पर कुल 36 स्वर्ण पदक एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। पीएचडी उपाधि के 30 छात्र/छात्राओ को पीएचडी उपाधि दी गयी।

कुलाधिपति/राज्यपाल द्वारा जिलाधिकारी सिद्धार्थनगर डा0 राजागणपति आर0, जिलाधिकारी श्रावस्ती अजय कुमार द्विवेदी को हमारा राजभवन किट तथा पुस्तक एवं मुख्य विकास अधिकारी जयेन्द्र कुमार को पुस्तक दिया गया। कुलपति प्रो0 कविता शाह द्वारा कुलाधिपति/महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल, मुख्य अतिथि कुलपति केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ, वाराणसी, विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी को ग्रन्थ गुच्छ भेट किया गया।

उच्च पूर्व माध्यमिक विद्यालय, बर्डपुर 25 छात्र/छात्राए, पूर्व माध्यमिक विद्यालय बूड़ा 25 छात्र/छात्राएं, को बैग एवं सम्मान पत्र मा0 कुलाधिपति द्वारा प्रदान किया गया,05 आंगनबाड़ी कार्यकत्री सिद्धार्थनगर किरन, पूनम मिश्रा, कमलेश, शेषा तथा शंकर सती तथा जनपद श्रावस्ती की 05 आंगनबाड़ी कार्यकत्री शिवकुवरिं, कुसुमलता, माया जायसवाल, पुष्पा मिश्रा, ममता रानी को खिलौना दिया गया। राज्यपाल/कुलाधिपति श्रीमती आनन्दी बेन पटेल द्वारा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को 200 पुस्तक दिया गया। कुलाधिपति द्वारा 187108 अंक पत्र व 58161 डिग्री को डीजी पोर्टल पर ऑनलाइन अपलोड किया गया।

इस दीक्षान्त समारोह में विधायक इटवा माता प्रसाद पाण्डेय,विधायक कपिलवस्तु श्यामधनी राही, विधायक डुमरियागंज श्रीमती सैय्यदा खातून, जिलाध्यक्ष भाजपा कन्हैया पासवान, जिलाधिकारी सिद्धार्थनगर डा0 राजागणपति आर0, जिलाधिकारी श्रावस्ती अजय कुमार द्विवेदी, पुलिस अधीक्षक सुश्री प्राची सिंह, मुख्य विकास अधिकारी जयेन्द्र कुमार, अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0)उमाशंकर, कुल सचिव डा0 अमरेन्द्र कुमार सिंह, उपजिलाधिकारी नौगढ़ ललित कुमार मिश्र, बांसी प्रदीप कुमार यादव, डुमरियागंज संजीव दीक्षित, शोहरतगढ़ चन्द्रभान सिंह, इटवा कल्याण सिंह मौर्य तथा सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के आठवॉ दीक्षान्त समारोह के आयोजन समिति के सदस्य तथा कार्य परिषद के सदस्य तथा सिद्धार्थ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध समस्त महाविद्यालयों के प्राचार्य उपस्थित रहे।

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