लखनऊ: 26 नवंबर 2024
आर्टस एण्ड कल्चरल सोसाइटी द्वारा भारतीय त्योहारो एवं लोक परम्पराओं पर आधारित तीन दिवसीय कार्यशाला का किया गया आयोजन
कल्याणपुर लखनऊ स्थित आर्टस एण्ड कल्चरल सोसाइटी द्वारा कु0 कामना बिष्ट के निर्देशन में भारतीय लोक संस्कृति तीज त्योहारो एवं परम्पराओं पर आधारित तीन दिवसीय भारतीय लोक सांस्कृतिक उत्सव एवं कार्यशाला का आयोजन वरसाना उपवन शिवपुरी, कल्याणपुर लखनऊ उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज के सहयोग से आयोजित किया गया। जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि डा0 राजेष कुमार प्रजापति, विशेष सचिव उ0 प्र0 शासन (आई.एस.एस) एवं विशिष्ट अतिथि उमेश सनवाल सभासद, डा0 के0 के0 पाण्डेय तथा डा0 श्रेया प्रजापति के कर कमलो द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम सुभारम्भ किया गया। संस्था के अध्यक्ष श्री भरत सिंह बिष्ट एवं कोषाध्यक्ष महेन्द्र सिंह नेगी द्वारा अतिथियों को पुष्पगुच्छ अंगवस्त्र तथा पंतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया।
उक्त कार्यक्रम का कुशल संचालन सुरेन्द्र राजेश्वरी वरिष्ठ उद्घोषक आकाशवाणी द्वारा किया गया। इस अवसर पर दीवान सिंह अधिकारी, हरीशचन्द्र पंत, रमेशरावत,मदन सिंह बिष्ट उपस्थित रहे।
01) उत्सव में सर्वप्रथम कामना बिष्ट के निर्देशन तथा शोभा पटवाल के सहायक निर्देशन में माॅ नन्दा सुनन्दा का डोला लेकर सुन्दर प्रदर्शन किया गया जिसमें उत्तराखण्ड के वाद्य ढोल दमऊॅ एवं रणसिंहा लेकर कलाकारों ने विहंगम एवं भक्तिमय प्रदर्शन कर श्रोताओं को भक्तिमय आनन्द दिया। यह कार्यक्रम हमारी समृद्ध भारतीय संस्कृति और लोक परंपराओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। जिसके कलाकार है- कामना बिष्ट, एण्ड्री बिष्ट, क्रितिका रावत, गरिमा देवडी, शोभा पटवाल, खुशी सिंह, स्नेहा बिष्ट, ज्योति जोशी,गार्गी घुगतियाल, रिया सिंह, जयदीप नेगी, विजय, वर्तिका, निहारिका, मदन सिंह बिष्ट, महेन्द्र सिंह नेगी तथा लाल सिंह बिष्ट आदि।
02) उत्तराखण्ड के लोकप्रिय लोकनृत्य की सुन्दर प्रस्तुति जिसके बोल है हिमुली हवलदार की चैली हिमुली और तेरी मेरी जोडी फसक्लासा।
03) भारतीय लोक संस्कृति पर आधारित असम का बिहू लोक नृत्य की सुन्दर प्रस्तुति कु0 दिव्या शुक्ला के निर्देशन में साथी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया।
04) उत्तराखण्ड का प्राचीन एवं लोकप्रिय लोकनृत्य जिसके बोल है रूपसा रमौती घुघंर न बाजा झम। निर्देशन कु0 कामना बिष्ट।
05) उत्तराखण्ड का पारम्परिक पौराणिक लोक संस्कृति पर आधारित झोडा लोकनृत्य जिसके बोल है छोडदे भिना मेरी धपेली। निर्देशन कामना बिष्ट। कलाकार है- स्नेहा बिष्ट, वर्तिका सिंह, ज्योति जोशी, विजय, शोभा पटवाल, जयदीप सिह नेगी, निहारिका रावत, एण्ड्री बिष्ट।
06) उत्तराखण्ड का पारम्परिक लोकनृत्य जिसके बोल है पायलिया तेरी छम छम। कामना बिष्ट के निर्देशन एवं साथी कलाकारों द्वारा।
07) बाल कलाकारों द्वारा कुमाऊॅ के अनेको गीतों का रिमिक्ष पर लोकनृत्य की प्रस्तुति जिसके बोल है सावरी सावरी। बाल कलाकार- हंसिका गोस्वामी, भूमि जोशी, भूमि पाण्डे, जीविका, उन्नति मौर्या, रिशिता एवं साथी कलाकार।
08) कु0 दिव्या शुक्ला के निर्देशन में कथक नृत्य जिसके बोल है मन मोहनी कलाकार है खुशी शर्मा ।
09) कु0 दिव्या शुक्ला के निर्देशन में राजस्थानी लोकनृत्य कालवेलिया की सुन्दर प्रस्तुति।
10) कु0 भूमि बिष्ट द्वारा उत्तराखण्ड का पारम्परिक लोकनृत्य की प्रस्तुति।
11) उत्तराखण्ड का पारम्परिक लोकनृत्य कु0 कामना बिष्ट के निर्देषन में तेरो लहंगा के भलि छाजि रौ।
12) श्रीमती सुशीला नेगी के नृत्य निर्देशन में उत्तराखण्ड का पारम्परिक लोकनृत्य जिसके बोल है फोटो तेरी कलाकार है- ज्योति बिष्ट, पूजा डोलिया, मासी रावत, अरू भट्ट, अभि सिंह बिष्ट, देवेन्द्र सिंह कण्डारी।
13) शोभा पटवाल के निर्देशन में उत्तराखण्ड का पारम्परिक झोड़ा लोकनृत्य जिसके बोल है- सौजन का फूना कलाकार – शोभा पटवाल, हेमा बिष्ट, ज्योति जोशी, रेखा गोस्वामी, आनन्दी मेहरा, बीना देवडी, पुष्पा बिष्ट, गीता बिष्ट, हेमा अधिकारी, कमला मेहरा, पार्वती फर्तियाल, सरस्वती खाती,लीला बिष्ट।
14) कु0 दिव्या शुक्ला के निर्देशन में कुमाऊॅनी लोकनृत्य जिसके बोल है घुमै दे। कलाकार है- प्रिषा, अमायरा, सुविज्ञा, यषि सिंह, काव्या गुप्ता।
15) उत्तराखण्ड का पाम्परिक लोकनृत्य जिसके बोल है- झुमैक झुमैली निर्देशन कामना बिष्ट
16) दिव्या शुक्ला के निर्देशन में पारम्परिक अवधी लोकनृत्य जिसके बोल है-राम आयेगे,तो अंगना सजाएंगे- कलाकार- ज्योतसना मिश्रा।
17) कामना बिष्ट के निर्देषन में उत्तराखण्ड का प्राचीन पारम्परिक लोक नृत्य जिसके बोल है बेडू पाको बारो मासा।
18) श्रीमती दीपा बिष्ट के निर्देषन में उत्तराखण्ड का पारम्परिक झोड़ा लोक नृत्य जिसके बोल है-साचि बतया पार्वती शिवजी तेरा काछिना। कलाकार है दीपा बिष्ट, गीता भैसोडा, रूपा रावत, भवानी भोजक, मीना फर्तियाल, बीना बिष्ट, दीपा मनराल, नन्दी मेहरा, पूनम बिष्ट, पुष्पा, कुन्ती रावत, मीना डंगवाल।
19) उत्तराखण्ड का पारम्परिक लोकनृत्य जिसके बोल है चहा को होटल खोलुला निर्देषन कामना बिष्ट कलाकार है- स्नेहा बिष्ट एवं खुशी सिंह।
20) सुशीला नेगी के निर्देशन में कुमाऊॅ का सुप्रसिछ झोडा लोकनृत्य जिसके बोल है- धनुलि कलाकार है- सुशीला नेगी, आशा बिष्ट, नीता बिष्ट, गंगा कण्डारी, इशवरी मेहता, बीना जोशी, रबीला पाण्डेय, माधुवी मेहता, अनु रावत, मानसी रावत, ज्योति बिष्ट, देवेन्द्र सिंह कण्डारी, पूजा डोलिया, प्रमिला रावत।
21) उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध लोक गायक सुरेन्द्र राजेश्वरी ,लक्ष्मण सिंह मर्तोलिया तथा जगत सिंह धपोला ने पारम्परिक लोकगीतों से श्रोतोओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
22) उत्तराखण्ड का प्राचीन सुप्रसिद्ध छोलिया लोकनृत्य जिसके बोल है बसंती झोरी एवं लाली हो लाली कामना बिष्ट, एण्ड्री बिष्ट, क्रितिका रावत, गरिमा देवडी, शोभा पटवाल, खुशी सिंह, स्नेहा बिष्ट, ज्योति जोशी, गार्गी घुगतियाल, रिया सिंह, जयदीप नेगी, विजय, वर्तिका, निहारिका, मदन सिह बिष्ट, महेन्द्र सिंह नेगी तथा लाल सिंह बिष्ट आदि।
23) कु0 दिव्या शुक्ला के निर्देशन में गुजरात का पारम्परिक गरबा लोकनृत्य जिसके बोल है ढोललीडा कलाकार है-कनिष्का बिष्ट, अनाया गुप्ता, पार्थवी वर्मा, दिया यादव।
24) वाद्य कलाकार सिन्थाइजर पर लक्ष्मण सिंह मर्तोलिया ढोलक पर रमेश कश्यप, हुडके पर महा सिंह रावत।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने सभी कलाकारों को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र वितरण किया और कहा कि कलाकारों ने अपनी कला का विहंगम और सुन्दर प्रदर्शन कर भारतीय लोक संस्कृति को जीवंत कर दिया है। सभी संस्कृतियों का सुन्दर फूल की तरह कलाकारों ने उत्सव में रंग जमाया हम सभी कलाकारों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामना प्रेषित किया।
इस अवसर को अध्यक्ष भरत सिंह बिष्ट ने उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार का और कलाकारो,अतिथियों सम्मानित कर दर्शको को आभार प्रकट कर उत्सव का समापन किया गया।