सिद्धार्थनगर 22 सितम्बर 2023
उ0प्र0 राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा महिलाओं का नेतृत्व तथा व्यापक सहभागिता का एक दिवसीय मंडल स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ संपन्न
आपदा जोखिम प्रबन्धन में महिलाओं का नेतृत्व तथा व्यापक सहभागिता का केन्द्रीकरण, महिला स्वयं सहायता समूहों की आपदा जोखिम न्यूनीकरण में भूमिका विषय पर उ0प्र0 राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण सिद्धार्थनगर की सहभागिता से एक दिवसीय मंडल स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्य विकास अधिकारी श्री जयेन्द्र कुमार की अध्यक्षता एवं अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0) उमाशंकर, अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) बस्ती कमलेश चन्द्र, परियोजना निदेशक, उ0प्र0 राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की उपस्थिति में लोहिया कला भवन में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी श्री जयेन्द्र कुमार एवं अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0) उमाशंकर, अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) बस्ती कमलेश चन्द्र, परियोजना निदेशक, उ0प्र0 राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी श्री जयेन्द्र कुमार ने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सम्बोधित करते हुए बताया कि जनपद सिद्धार्थनगर में प्राकृतिक आपदा ज्यादातर अति वृष्टि के कारण बाढ़ आने से होती है आपदा को रोका नहीं जा सकता है लेकिन प्रबन्धन के माध्यम से कम किया जा सकता है। इसलिए आपदा से पहले इससे निपटने की तैयारी करनी चाहिए, आपदा के समय भी सावधानी पूर्वक प्रबन्धन करना चाहिए, आपदा के बाद भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। आपदा से रोकथाम के लिए जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण सिद्धार्थनगर एवं एन0डी0आर0एफ0 के माध्यम से लागों को प्रशिक्षित किया जाता है जिसके माध्यम से घरेलू उपकरणों के माध्यम से आपदा से निपटा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि बाढ़ के दौरान नाव का प्रयोग किया जाता है जिसके लिए प्रशिक्षित नाविक होना जरूरी है तथा नाव की क्षमता के अनुसार ही लोग सवारी करें। आकासीय बिजली/बज्रपात के लिए दामिनी एप पर सूचना मिल जाती है इसको सभी लोग अपने फोन में डाउनलोड करें जिससे जनहानि से बचा जा सकता है। बाढ़ के दौरान संक्रामक रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है जिसके लिए क्लोरीन युक्त पानी का इस्तेमाल कर, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर प्रबन्धन किया जा सकता है।
मुख्य विकास अधिकारी ने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को बढ़िया से प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने क्षेत्र के लागों को भी आपदा प्रबन्धन के बारे में जागरूक करें जिससे किसी भी आपदा के दौरान जनहानि, पशु हानि आदि को कम किया जा सके। अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0) बस्ती कमलेश चन्द्र ने कहा कि भारत सरकार/प्रदेश सरकार द्वारा 08 प्रकार की आपदा घोषित किया गया है।
उन्होने बताया कि आपदा दो प्रकार की होती है प्राकृतिक आपदा एवं अप्राकृतिक आपदा। प्राकृतिक आपदा में अति वृष्टि के कारण बाढ़, बज्रपात, लू, कोहरा, आदि को रोका नहीं जा सकता है लेकिन उचित प्रबन्ध करके कम किया जा सकता है। अप्राकृतिक आपदा स्वयं द्वारा उत्पन्न होती है जिसमें मोटर दुर्घटना, पानी में डूबना, आग लगना आदि घटनाएं होती हैं जिनको हम रोक सकते हैं। आज इस कार्यक्रम में आपदा जोखिम को कम करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। महिलाएं घर से लेकर बाहर तक हर क्षेत्र में काम कर रही हैं, इसलिए उनको प्रशिक्षित किया जा रहा है जिससे आपदा के बारे में एवं उसके रोकथाम के बारे में ग्रामीण क्षेत्र तक के लोगों को इसके बारे में जानकारी प्राप्त होगी। जिससे ज्यादा से ज्यादा आपदा के जोखिम को कम किया जा सकता है।
परियोजना निदेशक, उ0प्र0 राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण एवं आपदा विशेषज्ञ बस्ती रंजीत निरंजन, सिद्धार्थनगर सुश्री पुष्पांजलि सिंह, डॉ0 मजीद रशीदी द्वारा आपदा के समय क्या करें, क्या न करें तथा विभिन्न प्रकार की आपदा के जोखिम को कम करने के लिए वीडिओ के माध्यम से तकनीकी जानकारी प्रदान की गयी।
अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0) उमाशंकर द्वारा मुख्य विकास अधिकारी जयेन्द्र कुमार एवं अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0) बस्ती कमलेश चन्द्र को स्मृति चिन्ह भेट किया गया। उपजिलाधिकारी न्यायिक प्रियंका चौधरी द्वारा परियोजना निदेशक, उ0प्र0 राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
इस अवसर पर उपरोक्त के अतिरिक्त आपदा विशेषज्ञ बस्ती रंजीत निरंजन,आपदा विशेषज्ञ सिद्धार्थनगर सुश्री पुष्पांजलि सिंह, आपदा विशेषज्ञ संतकबीर नगर कृष्णा, डॉ0 मजीद रशीदी, बस्ती, सिद्धार्थनगर,संतकबीर नगर की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं उपस्थित रहीं।