- सिद्धार्थनगर 26 नवम्बर 2020
जिलाधिकारी अध्यक्षता में भूगर्भ जल प्रबन्धन परिषद के सदस्यों/सचिव की बैठक आयोजित की गई
दिनांक 25.11.2020 को सायं जिलाधिकारी दीपक मीणा की अध्यक्षता में भूगर्भ जल प्रबन्धन परिषद के सदस्यों/सचिव की बैठक विकास भवन सभागार में आयोजित की गयी।
बैठक में जिलाधिकारी द्वारा जनपद में भूजल संशाधन की सुरक्षा, संरक्षण, प्रबन्धन एवं नियमन के प्रति भूजल की उपलब्धता समान रूप से निरन्तर बने रहने और जनमानस को गुणवत्ता परक जलापूर्ति सुनिश्चित किये जाने हेतु बैठक में उपस्थित सदस्यों को राज्य भूगर्भ जल प्रबन्धन एवं विनियामक प्राधिकरण के अधिसूचना संख्या 02/यूपीराभूजप्रविप्रा दिनांक 03 जुलाई 2020 के अनुसार कार्यवाही कराने का निर्देश दिया गया। उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबन्धन एवं विनियमन) अधिनियम-2019 की धारा-10,11,14,16 व 17 में उल्लिखित प्राविधानों के अन्तर्गत प्रदेश के विद्यमान वाणिज्यिक, औद्योगिक, अवसंरचनात्मक और सामूहिक भूगर्भ जल उपयोक्ताओं के लिए पंजीकरण शुल्क, उपयोक्ताओं को अनापत्ति प्रमाण-पत्र निर्गत किये जाने हेतु शुल्क, भूगर्भ जल निकालने हेतु भूमि वेधन में लगे हुए व्यक्ति,फर्म,अभिकरण या कम्पनी हेतु पंजीकरण शुल्क तथा अधिनियम की धारा-16 के क्रम में भूजल उपयोक्ताओं द्वारा भूजल की वार्षिक निकासी की मात्रा के अनुसार शुल्क का निर्धारण किया गया है। सभी ड्रिलिंग एजेन्सी को पंजीकरण कराना अनिवार्य है बिना पंजीकरण के वे कोई ड्रिलिंग का कार्य नहीं कर सकते। पकड़े जाने पर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। घरेलू एवं कृषि उपयोक्ता के लिए कोई शुल्क लागू नहीं है किन्तु पंजीकरण कराना अनिवार्य है पंजीकरण कराने के उपरान्त ही वे ड्रिलिंग का कार्य करा सकते हैं। घरेलू एवं कृषि उपयोक्ता को छोड़कर अन्य उपयोक्ताओं को वार्षिक निकासी की मात्रा के अनुसार जल संरक्षण शुल्क जमा करना अनिवार्य है साथ ही साथ ड्रिलिंग एजेन्सी को भी शुल्क की दर उस क्षेत्र की श्रेणी(सुरक्षित, सेमीक्रिटिकल,क्रिटिकल अतिदोहित/नोटिफाइड शहरी क्षेत्र) के अनुसार निर्धारित है। पंजीकरण ग्राउण्ड वाटर विभाग की वेवसाइट www.upgwdonline.in पर किया जायेगा। किसी भी जानकारी हेतु मोबाइल नं0 7755868790, 9450551977 पर सम्पर्क किया जा सकता है।
किसी भी व्यवसायिक, औद्योगिक, इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं बल्क यूजर्स द्वारा एक्ट के प्राविधानों के उल्लंघन की स्थिति में प्रथम अपराध हेतु रू0 02 लाख से 05 लाख अर्थदण्ड अथवा 06 माह से 01 वर्ष का कारावास अथवा दोनो। अपराध की पुनरावृत्ति पर प्राधिकार पत्र निरस्त करते हुए उपरोक्त दण्ड को दो गुना किया जायेगा। भूजल प्रदूषण हेतु दोषी पाये जाने की स्थिति में प्रथम अपराध हेतु 02 वर्ष से 03 वर्ष का कारावास एवं 5 लाख से 10 लाख अर्थदण्ड। अपराध की पुनरावृत्ति पर 05 वर्ष से 07 वर्ष का कारावास तथा 10 लाख से 20 लाख का अर्थदण्ड का प्राविधान है।
(न्यूज 17 इंडिया एडिटर इन चीफ विजयकुमारमिश्रा)