सिद्धार्थनगर: दिनांक 03-01-2025
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव द्वारा श्रमिकों को उनके परिवार के कल्याण हेतु विभिन्न कानूनों की दी गई जानकारी-
जनपद सिद्धार्थनगर: उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के दिशा-निर्देश पर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिद्धार्थनगर के आदेश के क्रम में मनोज कुमार तिवारी सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा तहसीलदार/सचिव तहसील विधिक सेवा समिति बांसी सिद्घार्थनगर एवं श्रम प्रवर्तन अधिकारी सिद्घार्थनगर के समन्वय से श्रमिकों के मध्य श्रम कानून व उनके परिवार के कल्याण हेतु विभिन्न कानूनों की जानकारी दिये जाने हेतु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन मेसर्स पप्पू ब्रिंक फील्ड (ईट भटठा) भरमा बांसी सिद्घार्थनगर में किया गया। मेसर्स पप्पू ब्रिंक फील्ड (ईट भटठा) भरमा बांसी सिद्घार्थनगर में आयोजित विशेष जागरूकता शिविर में तहसीलदार/सचिव तहसील विधिक सेवा समिति बांसी पीयूष कुमार श्रीवास्तव, श्रम प्रवर्तन अधिकारी उज्जवल त्रिपाठी, पैनल अधिवक्ता कृष्णकान्त मणि त्रिपाठी, उपनिरीक्षक को० बांसी जियाउल्लाह, महिला आरक्षी को० बांसी कंचन यादव, राजस्व निरीक्षक बांसी श्री मु० फारूक, राजस्व लेखपाल स्वाती यादव एवं भटठे पर काम करने वाले अनेकों श्रमिक तथा ग्राम भरमा के निवासी उपस्थित रहे।
उक्त शिविर में वक्तागणों द्वारा उपस्थित श्रमिकों एवं आमजन को बताया गया कि श्रमिक समाज की रीढ़ होते हैं, जो किसी भी देश के आर्थिक विकास और संरचना को मजबूत करते हैं। श्रमिकों के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए बनाए गए श्रम कानून न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि कार्यस्थल पर शोषण को रोकने में भी मददगार होते हैं। तहसीलदार, स्थानीय प्रशासन के महत्वपूर्ण अधिकारी के रूप में, श्रमिकों के प्रति इन कानूनों की जागरूकता फैलाने और उनके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। श्रम कानून वे नियम और अधिनियम हैं, जो श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच संबंधों को संतुलित करने, श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, और उनकी जीवन-शैली को बेहतर बनाने के लिए निम्न कानून बनाए गए हैं-
1- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948: श्रमिकों को उनके कार्य के लिए न्यूनतम पारिश्रमिक सुनिश्चित करता है।
2- मजदूरी भुगतान अधिनियम 1936: श्रमिकों को समय पर वेतन प्राप्त करने का अधिकार देता है।
3- कारखाना अधिनियम 1948: कार्यस्थल पर स्वास्थ्य, सुरक्षा, और कल्याण से संबंधित प्रावधान करता है।
4- बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986: 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक कार्यों में लगाने पर रोक लगाता है।
5- महिला श्रमिक संरक्षण कानून: महिलाओं को समान वेतन, मातृत्व अवकाश, और कार्यस्थल पर सुरक्षा प्रदान करता है।
उपरोक्त श्रम कानूनों से श्रमिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार, कार्यस्थल पर समानता और निष्पक्षता, शोषण और भेदभाव की रोकथाम एवं देश की आर्थिक उत्पादकता में वृद्धि हुई है,साथ ही यह जानकारी भी दी गयी कि सभी श्रमिकों को श्रम कार्ड अवश्य बनवा लेना चाहिए, जिससे उन्हें विभागीय योजनाओं का भी लाभ आसानी से मिल सके तथा विभागीय योजनाओं जैसे-श्रमिक पंजीकरण योजना, उत्तर प्रदेश श्रमिक स्वास्थ्य बीमा योजना, साइकिल सहायता योजना, कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री महिला निर्माण श्रमिक सम्मान योजना एवं निर्माण श्रमिक पंजीयन हेतु पात्रता आवश्यक अभिलेख एवं प्रक्रिया के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी जैसे- जैसे सभी निर्माण श्रमिक जो 18 से 60 वर्ष की आयु वर्ग के है और जिन्होंने पंजीकरण के समय पिछले 12 माह में 90 दिनाे तक निर्माण श्रमिक के रूप में कार्य किया है।
निर्माण श्रमिक अपने नजदीकी लोकवाणी/जनसेवा केन्द्रों पर एक फोटो, और अपने परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड का विवरण, राशन कार्ड एवं बैंक पासबुक की छायाप्रति एवं निर्माण श्रमिक के रूप में गत 12 महीनों में 90 दिनाे तक कार्य करने का प्रमाण पत्र और रूपये 20/- एक वर्ष के अंशदान शुल्क व रूपये 20/- पंजीयन शुल्क सहित एक मुश्त रूपये 40/- के साथ अपना पंजीयन करा सकते है। स- निर्माण श्रमिक एक साथ अधिकतम 03 वर्ष का अंशदान रूपये 60/- जमा कर सकते है। अंशदान जमा न होने पर कोई हितलाभ देय नहीं होगा।
(मनोज कुमार तिवारी)
अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश/पूर्णकालिक सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिद्धार्थनगर।