प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में ग्राम पंचायत अधिकारी के उपर लाखों के सरकारी धन दुरूपयोग करने का लगा है आरोप..
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में ग्राम पंचायत अधिकारी के ऊपर 7.20 लाख का हेराफेरी का आरोप,पात्रों की जगह अपात्रों को दिया आवास……।
सिद्धार्थनगर-ग्राम पंचायत सचिवों की तथाकथित कारनामा अब किसी से छिपा नहीं है यदि सही तरीके से जांच कराई जाए तो तैनात ग्राम पंचायत सचिवों को जेल की हवा खानी पड़ सकती है,
*एक कहावत सटीक बैठता है, “आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया”*
तो (secretary) सचिव/ग्राम पंचायत अधिकारी सरकारी धन गबन करने का रास्ता तो निकालने में जादू की छड़ी की तरह माहिर है।
आइए अब एक ऐसे मामलों से पर्दा उठाने का प्रयास करने की कोशिश कर रहा हूं जिसके बारे में आपको भी जानना जरूरी है।
जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर खण्ड विकास जोगिया हैं, वहीं जोगिया ब्लाक के अन्तर्गत एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है कि ग्राम पंचायत अधिकारी खण्ड विकास जोगिया सिद्धार्थनगर में तैनात हैं यह भ्रष्टाचार के मामलों में अक्सर सुर्खियों में आ ही जाते हैं। शासन की अनदेखी करने में कोई कोर कसर नही छोड़ते हैं। लगभग लाखों के भ्रष्टाचार से लिप्त है, जिनके खिलाफ शिकायतों के बाद जांच शुरू हुई और जांच में उनको निम्नलिखित आरोपो से जांच अधिकारी ने आरोपित किया है,जिसका पत्र लगभग उन सचिवों को प्राप्त हुए 10 दिनो से ऊपर हो चुका है, जबकि स्पष्टीकरण तीन दिवस में देना था, वहीं सूत्रों की मानें तो समाचार लिखे जाने तक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था।
गोलमाल है भाई,सब गोलमाल है ?
अब आइए प्रभारी एडीओ पंचायत/ग्राम पंचायत अधिकारी संजय कुमार वरूण पर आरोप लगा क्या ?
आप भी जानिए
आरोप संख्या-01
जांच अधिकारी का कथन है कि संजय कुमार वरूण अपने कार्यकाल में जब सचिव/ग्राम पंचायत अधिकारी ग्राम पंचायत पटखौली, हर्रैया एवं बैरवानानकार खण्ड विकास जोगिया में कार्यरत रहे हैं उस अवधि में छूटे हुए पात्र परिवारों को आवास प्लस साइट पर जोड़े जाने के क्रम में ग्राम पटखौली के 167 परिवारों को साइट से जोड़ा गया इसी प्रकार ग्राम हर्रैया में 115 परिवारों को जोड़ा गया था अतएवं आवास आवंटन के समय आवास की साइट पर प्रदर्शित परिवारों का सत्यापन भी हुआ। जिसमें यह ज्ञात हुआ कि ग्राम पटखौली में 167 परिवारों के साक्षेप में 132 परिवार अपात्र पाए गए एवं मात्र केवल 35 पात्र ही मिले।
मजे की बात है कि इसी तरह ग्राम हर्रैया में 115 परिवारों के साक्षेप में 63 परिवार अपात्र एवं 52 परिवार पात्र पाए गए।
अपात्रों के चयन के सम्बंध में खण्ड विकाश अधिकारी जोगिया के सचिवों से स्पस्टीकरण प्राप्त कराए जाने हेतु परियोजना निदेशक, जिला ग्राम विकास अभिकरण सिद्धार्थनगर द्वारा आख्या उपलब्ध कराए जाने को निर्देशित किया गया था, जिसमें खण्ड विकाश अधिकारी जोगिया द्वारा आख्या उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए जिसके परिप्रेक्ष्य में अपने स्पष्टीकरण (आख्या) में उल्लेख किया था कि कुछ लाभार्थियों द्वारा आवास बना लिया गया है तो वहीं कुछ लाभार्थियों द्वारा गुमराह कर नाम पंजीकरण कराया गया है।
परियोजना निदेशक,जिला ग्राम विकास अभिकरण सिद्धार्थनगर द्वारा अभिकथन के पश्चात ग्राम हर्रैया के 27 लाभार्थियों का सत्यापन कराया गया तो जिसमें यह प्रमाणित हुआ कि आप वास्तव में अपात्र लाभार्थियों का पंजीकरण कराने के लिए दोषी पाए जाते हैं। यह आरोप तैनात सचिव पर लग चुका है।
अब देखिए/ आरोप संख्या 02
सबसे बड़ी विडंबना है कि आवास प्लस पर बहुत से पात्र व्यक्तियों का पंजीकरण नही कराया गया, जिसमें कुछ लाभार्थी आवास से वंचित रह गए जबकि ग्राम हर्रैया में निरीक्षण के समय रामशंकर पुत्र बैजनाथ अत्यंत ही गरीब पाये गए जो आवास हेतु पात्र हैं परन्तु इनका पंजीकरण नही कराया गया इस तरह पात्र व्यक्तियों का पंजीकरण न कराए जाने के दोषी पाए जाते हैं, यह मामला जांच अधिकारी के जांच से प्रकाश में आया।
*पैसे का खेल निराले मेरे भैय्या*?
अब देखिए / आरोप संख्या 03
आवास प्लस पर पंजीकरण करते समय बहुत से पात्र व्यक्तियों का गलत तरीके से रिमाण्ड कराने के वजह से पात्र व्यक्ति आवास पाने से वंचित राह गए। जिसमें ग्राम हर्रैया के अनिल पुत्र योगेंद्र, श्रीमती मनरावती पत्नी कर्मराम, विनोद पुत्र फूलचंद, श्रीमती अंजनी पत्नी रामजीत, श्रीमती रमावती पत्नी भग्गन, श्रीमती अम्बिका पत्नी अगनू , श्रीमती नीतू भारती पत्नी विनोद, कुल 7 पात्र लाभार्थियों को गलत तरीके से बिना सत्यापन के ही रिमांड कराया गया, जिसके कारण उक्त व्यक्ति आवास से वंचित हो गए, इस प्रकार से पात्र व्यक्तियों का नाम आवास प्लस पर से रिमांड (डिलीट) करने के दोषी पाए जाते हैं। उक्त आरोप से जांच अधिकारी ने आरोपित किया है।
अब अंतिम आरोप देखिए
आरोप संख्या 4..
विगत वर्षों से ग्राम पंचायत बैरवानानकार के (सचिव) ग्राम पंचायत अधिकारी रहते हुए भी प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के स्वीकृत 6 लाभार्थियों के धनराशि उनके स्थान पर अन्य व्यक्तियों के खातों में अंतरित कराई गई है का मामला जब पकड़ में आया तो मंची खलबली और सचिव साहब के तो कान खड़े हो गए। सूत्रों की मानें तो सचिव साहब मैनेजमेंट में लग गए हैं।
यहां एक कहावत सटीक बैठती है-
“बाप बड़ा न भैय्या, सबसे बड़ा रूपैय्या”
इस प्रकार मामला उजागिर होने पर मु0 रू 7.20 लाख की धनराशि की हेराफेरी करके शासकीय धनराशि को गबन कराये जाने का दोषी पाए जाते हैं. जांच अधिकारी ने आरोपित करते हुए पत्र लिखा है कि पत्र प्राप्ति के तीन दिन के अन्दर अपने बचाव में आरोप वार लिखित स्पष्टीकरण दें. लेकिन पत्र प्राप्ति के लगभग 10 दिन बीत चुके हैं, सूत्रों की माने तो समाचार लिखने तक कोई भी जवाब सचिव द्वारा अभी तक नहीं दिया गया है ।
यह मामला आग की तरह सुर्खियों में आ जाने के वावजूद कुछ ग्राम पंचायत सचिवों का भ्रष्टाचार अब भी जगजाहिर है, वहीं आम जनता का सवाल है कि कार्यवाही कौन करेगा , भ्रष्टाचार रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है, अब देखना है कि क्या जिलाधिकारी महोदय इस मामले में क्या कार्यवाही करते हैं, या भ्रष्टाचार की बीज इसी तरह पनपने देते हैं, इन मसलों पर आलाकमान के कार्यवाही का आम जनमानस को बेसब्री से इन्तजार है, जहां तक सूत्रों की मानें तो उक्त मामले को मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) महोदय को जांच अधिकारी द्वारा संज्ञानित करा दिये जाने के बावजूद मामला शिथिल क्यों पड़ा है ,कार्यवाही न होने से लोगो मे नाराजगी भी है कि आखिर जिम्मेदार कब तक इस तरह टाल मटोल करेंगे?
जबकि उपरोक्त मामले में जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) का अनुमोदन भी हो चुका है। उचित कार्यवाही न करने में जिला प्रशासन आखिर अभी तक चुप क्यों हैं ?