बुंदेलखंड यूपी/दिनाँक-06/02/2022
बुंदेलखंड की सात जिलों की 19 विधानसभा सीटों पर होगी भाजपा सहित सभी राजनीतिक दलों की अग्नि परीक्षा..
“बुंदेलखंड ब्यूरो से पंकज परासर की रिपोर्ट..”
” भाजपा एवं सपा के मध्य घमासान ”
” कांग्रेस व बीएसपी का संघर्ष तीसरे और चौथे का.!! ”
बुंदेलखंड के सात जिलों की 19 विधानसभा सीटों पर इस बार देखा जाए तो सभी राजनीतिक दलों की अग्निपरीक्षा होने वाली है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप करते हुए सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा के लिए जहां पुराना इतिहास दोहराने की चुनौती होगी, वहीं अन्य दलों पर इस बार भाजपा के इस विजय रथ को रोकने की। वर्ष 2012 के चुनाव में यहां सबसे अधिक सात सीटें बसपा ने जीती थी। अगर देखा जाए तो सभी दलों को बुंदेलखंड की धरती पर इस चुनाव में कड़ी अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा।
उत्तरप्रदेश का पठारी इलाका, बुंदेलखंड यूपी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सांसद हो या विधानसभा चुनाव बुंदेलखंड में चुनावी चर्चाओं से कभी अछूता नहीं रहा है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सात सीटें जीतकर बसपा नंबर एक की पार्टी बनी थी, लेकिन वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने जीत का ऐसा रिकार्ड बनाया कि सभी राजनीतिक दलों का सूपड़ा साफ कर दिया था। बुंदेलखंड की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव तीन चरणों में होना है। इसीलिए बुंदेलखंड की 19 सीटों पर जीत के लिए सभी पार्टियां एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। बुंदेलखंड में इस चुनाव को लेकर खूब राजनीति भी हो रही है। वर्तमान में विधानसभा चुनाव के मध्य विरोधियों की सियासत के साथ भाजपा एवं सपा के मध्य चुनावी महासंग्राम हो रहा है l राजीनीतिक जानकारों का अगर मानें तो कांग्रेस व बीएसपी का तीसरे और चौथे का संघर्ष चल रहा है l
(“बुंदेलखंड झेल रहा त्रासदी”)
बुंदेलखंड में कुल सात जिले जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, बांदा व चित्रकूट हैं। बुंदेलखंड पठारी इलाका है। यहां पानी की सबसे बड़ी समस्या है। बारिश न होने की वजह से यहां के किसान सूखे की मार झेलते हैं। सूखे की मार झेल रहे किसानों के समाने त्रास्दी यह है कि उनके लिए अभी तक कोई भी सरकार के द्वारा स्थाई समाधान नहीं हो पाया है। भाजपा की केंद्र सरकार ने यहां के लोगो के लिए पानी की समस्या दूर करने के लिए योजनाएं जरूर शुरू की हैं।
(“अलग राज्य की उठी चुकी मांग”)
बुंदेलखंड को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग काफी बार हो चुकी है। इसको लेकर सालों आंदोलन चल चुका है। वर्ष 2007 में तत्कालीन सरकार ने यूपी के बंटवारे का प्रस्ताव भी कर दिया था, लेकिन इस पर सभी दलों की आम सहमति नहीं बन सकी। बुंदेलखंड में आज भी अपने आपको सरकारी योजनाओं से उपेक्षित महसूस कर रहा है। बुंदेलखंड के लोग दशकों से इन्ही सभी समस्याओं के समाधान के लिए अलग राज्य की मांग भी करता रहा है।