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भनवापुर ब्लाक के 32 वर्षीय रामदीन पटेल स्ट्रॉबेरी की खेती से कमा रहे हैं लाखों रुपए

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सिद्धार्थनगर: 22 फरवरी 2025

भनवापुर ब्लाक के 32 वर्षीय रामदीन पटेल रूद्रौलिया निवासी स्ट्रॉबेरी की खेती से कमा रहे हैं लाखों रुपए

32वर्षीय रामदीन पटेल ने वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक के साथ सीडीओ जयेंद्र कुमार को भेंट की स्ट्रॉबेरी

सिद्धार्थनगर। भनवापुर ब्लाक के ग्राम रूद्रौलिया निवासी 32 वर्षीय रामदीन पटेल उर्फ (आरडी पटेल) भूगेाल विषय से परास्नातक उत्तीर्ण हैं। उन्होंने नौकरी की चाहत छोड़कर खेती-किसानी अपनाने का निर्णय लिया,उन्होंने 0.5 हेक्टेयर क्षेत्रफल में स्ट्राबेरी की खेती शुरू की है। एक वर्ष की खेती में लागत लगभग एक लाख रुपये लगाते हैं,जबकि मुनाफा तीन से चार लाख रूपये करते हैं। आर डी पटेल ने बताया कि प्रतिवर्ष लगभग 20 कुतल स्ट्राबेरी को डुमरियागंज के नवीन मंडी शाहपुर में बेचते हैं।

रामदीन पटेल ने बताया कि इसकी खेती करने के लिए उन्हें उद्यान विभाग सिद्धार्थनगर के साथ ही महराजगंज जिले के कोल्हुई निवासी किसान वीरेंद्र कुमार चौरसिया से मिली। रामदीन का मानना है कि यदि बेहतर रूप से इसकी खेती की जाए तो इसकी कमाई पारंपरिक खेती से काफी अलग है। वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक पीएम राम बताते हैं कि पारंपरिक खेती आम तौर पर मौसम पर आधारित खेती होती है, जबकि स्ट्रॉबेरी की खेती ड्रिप एरिगेशन के माध्यम से की जाती है। जिससे कम पानी में इसकी खेती होती है। लोग अब स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर झुकने लगे हैं। प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये का उद्यान विभाग से अनुदान भी देय है। सरकारी स्तर से भी इसकी खेती के लिए मदद मिलने से किसान इसमें रुचि दिखा रहे हैं।

राम दीन पटेल ने वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक पीएम राम के साथ विकास भवन पहुंचकर मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार को स्ट्राबेरी भेंट की। रामदीन बताते हैं कि यह फसल कई महीने तक मुनाफा देती है। स्ट्रॉबेरी की खेती नवंबर से मार्च तक होती है। स्ट्रॉबेरी प्रति किलो 350 रुपये से लेकर चार सौ रुपये प्रति किलो तक बिकता है। इसकी मांग इतनी बेहतर है कि व्यापारी खेतों तक पहुंचकर स्ट्रॉबेरी खरीदकर ले जाते हैं।

प्रगतिशील किसान रामदीन पटेल ने बताया कि इस खेती के लिए गौहनिया निवासी राज मिश्रा, सागर रौजा निवासी विदेशी, जलालपुर निवासी तुलसीराम, पुरैना निवासी चंद्रभान भी प्रेरित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि पौध लगाने के 45 से 60 दिन बाद फल तैयार होता है, उद्यान विभाग से समय-समय पर अहम जानकारियां के साथ अनुदान मिलने से हौसला बढ़ा है।

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