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मंदिर में लगे घंटी बजाने से उसके कंपन से शांति और दैवीय उपस्थिति की होती है अनुभूति..आचार्य पवन उपाध्याय

मंदिर में लगे घंटी बजाने से उसके कंपन से शांति और दैवीय उपस्थिति की होती है अनुभूति.. आचार्य पवन उपाध्याय

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बांसी सिद्धार्थनगर खेसराहा ब्लॉक के पिढिया धाम के बाबा पिढेश्वर नाथ महादेव मंदिर पर मंदिर के ट्रस्ट द्वारा बाबा पिढेश्वर नाथ महादेव मंदिर पर एक घंटा लगाने का कार्यक्रम आयोजन किया गया, जिस में भक्तों की भारी संख्या में लोग उपस्थिति हुए। कार्यक्रम के दौरान आचार्य पवन उपाध्याय ने कहा कि मनमोहक एवं कर्ण प्रिय ध्वनि मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव महशुस करता है। मंदिर में लगी घंटी को बजाने से मानव के मन की नकारात्मक विचार नष्ट हो जाते हैं। सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है।

मंदिर के द्वार पर और विशेष स्थानों पर घंटी या घंटे लगाने का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है। लेकिन इस घंटे या घंटी लगाने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या है। मंदिर में घंटी लगाए जाने के पीछे न सिर्फ धार्मिक कारण है बल्कि वैज्ञानिक कारण भी इनकी आवाज को आधार देते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में एक तरह का कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल में काफी दूर तक इसका असर जाता है। जिससे इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।
अत: जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इससे नकारात्मक शक्तियां हटती हैं। नकारात्मकता हटने से समृद्धि और अच्छे विचार के द्वार खुलते हैं।

घंटी या घंटे बजाने से देवताओं के समक्ष मनुष्य एकाग्रचित्त होकर ईश्वर की याद में खो जाता है।
प्राचीन मान्यता के अनुसार घंटी या घंटे बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में एक तरह की अदृश्य चेतना जागृत होती है, जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना करना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाता है। जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो नाद गूंजी थी वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। घंटी उसी नाद का प्रतीक है।
उपरोक्त कार्यक्रम के अवसर पर मंदिर के ट्रस्ट प्रबंधक अशोक कुमार त्रिपाठी, अंकित पांडे भोलू अनिल धर द्विवेदी, धर्मेंद्र त्रिपाठी, राम चंद्र त्रिपाठी, इंद्रजीत त्रिपाठी, विशाल शुक्ला, मनीष शुक्ला, राम प्रकाश त्रिपाठी, अर्जुन गौड़, जगदीश प्रसाद त्रिपाठी आदि भारी संख्या में लोगो उपस्थित रहे, लोगों ने इस पवित्र कार्य की काफी सराहना किया गया, उपस्थिति श्रद्धालु भक्तो ने कहा कि जब से मंदिर का ट्रस्ट बन गया है तब से इस जगह पर इस तरह के धार्मिक आयोजन होते रहते हैं ।

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