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लखनऊ :- हरीतिमा के साथ-साथ रोगों से बचाव भी कर रहे हैं लोक निर्माण विभाग द्वारा हर्बल मार्गों पर रोपित पौधे…

लखनऊ :- हरीतिमा के साथ-साथ रोगों से बचाव भी कर रहे हैं लोक निर्माण विभाग द्वारा हर्बल मार्गों पर रोपित पौधे…blank blank blank blank

News 17 india.in-12/09/2021

लखनऊ: 12 अगस्त, 2021

लेख /पत्र सूचना शाखा- सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश..

आज की भागम भाग एवं अनियमित जीवन शैली में व्यक्ति अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पा रहा है, जिसका परिणाम यह हो रहा है कि लोगों में प्रतिरोधक क्षमता की कमी हो रही है। कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर बल दिया गया है। जिन लोगों में प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रही, उन्हें संक्रमण प्रभावित नहीं कर सका। आज हर नागरिक अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ज्यादातर आयुर्वेदिक वृक्षों से प्राप्त होने वाली औषधियों पर निर्भर हो रहा है। इससे हर्बल वृक्षों की महत्ता बढ़ गई है।
वातावरण के प्रदूषण एवं बीमारियों से बचाव हेतु लोक निर्माण विभाग द्वारा चयनित मार्गों के एक ओर ग्रीन पट्टी बनाकर उसमें हर्बल पौधारोपण किया जा रहा है।

इस हेतु मासपर्णी, सप्तपर्णी, जत्रोफा (रतनजोत), जल नीम, छोटा नीम, सहजन, मेंथा, लेमन ग्रास, भ्रिंगराज, मुई, आंवला, ब्राह्मी, तुलसी, अनन्तमूल, ग्वारापाठा, अश्वगंधा, हल्दी आदि पौधे जोकि कई रोगों के समाधान के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं, रोपित किये जा रहे है। प्रदेश में लोक निर्माण विभाग द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों के लगभग 200 मार्गों को हर्बल मार्ग के रूप चिन्हित करते हुए लगभग 1000 किमी0 में 41 हजार से अधिक हर्बल पौधे रोपित कर आमजन के लिए उपयोगी बनाया गया है।

15 अगस्त, 2018 से लोक निर्माण विभाग द्वारा प्रदेश के सभी 18 मण्डलों में एक-एक मार्ग का चयन कर हर्बल मार्ग के रूप में विकसित करने का कार्य प्रारम्भ किया गया। जिसके सापेक्ष वर्ष 2018-19 में कुल 18 मार्गों की कुल 187 किमी0 का चयन करते हुए 6690 पौंधों को रोपित किया गया। वर्ष 2020-21 में प्रदेश के प्रत्येक खण्ड में एक मार्ग का चयन कर उसे हर्बल मार्ग के रूप में विकसित करते हुए कुल 175 मार्गों की लगभग 800 किमी0 लम्बाई को हर्बल मार्ग के रूप में चयन किया गया है। जिन पर अब तक 33515 पौधे रोपित किये जा चुके हैं। मार्गों को हर्बल मार्ग बनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों की इम्यूनिटी को बेहतर करने के साथ-साथ पर्यावरण को शुद्ध रखना है। हर्बल मार्गों को विकसित करने हेतु अलग से कोई धनावंटन निर्गत नहीं किया गया है, बल्कि मौजूद संसाधन जैसे मार्गों पर कन्टेन्जेन्सी मद इत्यादि से जनहित व स्वास्थ्यवर्धन का यह कार्य कराया गया है। हर्बल मार्गों पर विभिन्न औषधीय वृक्षों के होने से वायु प्रदूषण में कमी आयेगी, साथ ही आमजन को औषधि भी प्राप्त होगी।

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