लखनऊ दिनांक 29.07.2024
‘नवसृजन’ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, लखनऊ
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी ‘पथिक’ द्वारा प्रणीत पांच कृतियों का हुआलोकार्पण
‘नवसृजन’ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, लखनऊ के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी ‘पथिक’ द्वारा प्रणीत हिन्दी महाकाव्य “च्यवन चरित”, मुक्तक संग्रह “त्याग में तृप्ति का भाव ही प्यार है”, ग़ज़ल संग्रह “लक्ष्मण रेखा याद रहे” और “चुप्पी टूट गयी” एवं अवधी गीत संग्रह “फुलवा खिलइ रितु पाई” का लोकार्पण समारोह का आयोजन स्थानीय उ. प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ के निराला सभागार में सम्पन्न हुआ।
समारोह के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) वी. जी. गोस्वामी (पूर्व अधिष्ठाता-विधि विभाग, लखनऊ विश्व विद्यालय) मुख्य अतिथि डॉ. सुल्तान शाकिर हाशमी (पूर्व सलाहकार सदस्य योजना आयोग, भारत सरकार), वरेण्य अतिथि प्रो. (डॉ.) हरिशंकर मिश्र (पूर्व-आचार्य हिन्दी विभाग, ल.वि.वि., लखनऊ), डॉ. उमा शंकर शुक्ल ‘शितिकण्ठ’ (पूर्व-आचार्य: हिन्दी विभाग, के. के. सी., लखनऊ) थे।
माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात् डॉ. योगेश के संचालन एवं मुकेश मिश्र की वाणी वन्दना से आरम्भ इस समारोह में संस्था की उपाध्यक्ष मन्जू सक्सेना ने मंचस्थ अतिथयों का स्वागत किया। तत्पश्चात डॉ. सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी ‘पथिक’ द्वारा प्रणीत कृतियों का लोकार्पण मंचस्थ अतिथियों द्वारा किया गया।
समारोह के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) वी. जी. गोस्वमी ने अपने सम्बोधन में कहा कि, “पथिक लेखन के क्षेत्र में मील के पत्थर स्थापित कर रहे हैं। आप काव्य, महाकाव्य को छन्दों के माध्यम से प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त हैं।” मुख्य अतिथि डॉ. सुल्तान शाकिर हाशमी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि. “बहुआयामी लेखन के धनी कवि, गीतकार, छंदकार, एवं निबंधकार के रूप में स्थापित डॉ. सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी ‘पथिक की साहित्य साधना प्रणम्य है।” डॉ. सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी ‘पथिक’ एक ऐसे वरिष्ठ साहित्यकार हैं जिनका गद्य और पद्य पर समान अधिकार है। इनका लोकार्पित महाकाव्य ‘च्यवन ऋषि, उनकी छंद प्रतिभा प्रत्यक्ष प्रमाण है।” विशिष्ट अतिथि डॉ. उमा शंकर शुक्ल ‘शितिकण्ठ’ ने कहा कि, “पथिक’ जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार हैं। ‘पथिक’ हिन्दी के साथ अवधी लेखन में भी पारंगत हैं। विश्वास है कि सनातन प्रेमी सहृदय समाज में उन्हें यथोचित सम्मान मिलेगा। डॉ. हरिशंकर मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि, “पथिक’ की कृतियों में प्रसाद, माधुर्य तथा ओज का विनियोग सुष्ठु रूप में हुआ है।”
मुख्य वक्ता डॉ. शिवमंगल सिंह ‘मंगल’ ने मुक्तक संग्रह “त्याग में तृप्ति का भाव ही प्यार है” पर, सुश्री मन्जू सक्सेना ने गजल संग्रह “लक्ष्मण रेखा याद रहे” और “चुप्पी टूट गयी” पर एवं ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ‘अवधी मधुरस’ ने अवधी गीत संग्रह “फुलवा खिलइ रितु पाई” पर तथा त्रिवेणी प्रसाद दूबे ‘मनीष’ ने महाकाव्य “च्यवन चरित” पर अपने-अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर डॉ. सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी ‘पथिक’ ने लोकार्पित कृतियों पर अपने विचार और अनुभव साझा करते हुए समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। समारोह में उपस्थित सभी रचनाकारों को ‘सारस्वत सम्मान से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
समारोह के अन्त में संयोजक अनिल किशोर शुक्ल ‘निडर’ ने उपस्थित सभी अतिथियों एवं साहित्यकारों के प्रति आभार प्रकट किया। राम प्रकाश शुक्ल, मनु बाजपेयी, पण्डित बेअदब लखनवी, प्रेम शंकर शास्त्री ‘बेताब’, विशाल मिश्र, मुकेश मिश्र, श्रीमती विजय कुमारी ‘मौर्या’ का सहयोग सराहनीय रहा।
– पण्डित बेअदब लखनवी