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संजय निषाद के नेतृत्व में सरकारी आवास से 1090 चौराहे तक निकाली गई पदयात्रा–डॉ संजय निषाद

blank blankलखनऊ-मत्स्यमंत्री/दिनाँक 25 अक्टूबर 2023

संजय निषाद के नेतृत्व में सरकारी आवास से 1090 चौराहे तक निकाली गई पदयात्रा–डॉ संजय निषाद

मछुआ SC संवैधानिक आरक्षण महाजनसंपर्क अभियान की शुरुआत/प्रदेश के सभी 18 मंडलों में जाएगी यात्रा–डॉ संजय निषाद

मत्स्यमंत्री_लखनऊ/आज दिनांक 15 अक्टूबर 2023 दिन रविवार को निषाद पार्टी सुप्रीमो एवं माननीय कैबिनेट मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद ने निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल “निषाद पार्टी” द्वारा आयोजित मछुआ SC संवैधानिक आरक्षण महाजनसंपर्क अभियान की शुरुआत की, डॉ संजय निषाद के नेतृत्व में उनके सरकारी आवास एक विक्रमादित्य मार्ग से लेकर 1090 चौराहा लखनऊ तक पदयात्रा निकालकर की गई।

डॉ संजय निषाद ने पदयात्रा के दौरान कहा कि मछुआ आरक्षण उत्तर प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियों का एजेंडा रहा है, पूर्व की समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने मछुआ आरक्षण के मामले पर मछुआ समाज को गुमराह करने का काम किया है, उत्तर प्रदेश में जब बहुजन समाज पार्टी की सरकार आती है तो मछुआ समाज की सभी उपजातियों को एससी से निकालकर पिछड़ी में डाल दिया जाता है और जब समाजवादी पार्टी की सरकार आती है तो पिछड़ी से निकालकर अनुसूचित में डाल दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड राज्य की तर्ज पर शिल्पकार जाती नहीं जातियों का समूह है का सरकार द्वारा नोटिफिकेशन उत्तर प्रदेश राज्य में भी मझवार जाति नहीं जातियों का समूह है नोटिफिकेशन जारी किया जाना था, किंतु पूर्व की समाजवादी पार्टी की सरकार ने मछुआ समाज की सभी उपजातियां को पिछड़ी जाति में बताकर अनुसूचित में डालने का काम किया, जिससे आरक्षण का मुद्दा और उलझ गया है।

डॉ निषाद ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब गोरखपुर से सांसद हुआ करते थे उन्होंने सड़क से लेकर सदन तक मछुआ आरक्षण के मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। मछुआ समाज मुख्यमंत्री उ0प्र0 से काफी अपेक्षा है कि मछुआ आरक्षण का मुद्दा अन्य विशेष मुद्दों की तरह जल्द हल किया जाएगा।

डॉ निषाद ने बताया कि आजादी से पूर्व और आजादी के बाद भी साल 1931_1941_1951 1961_1971_1981और 1991तक उत्तर प्रदेश राज्य में मछुआ समाज की सभी उपजातियां की गिनती मझवार और तुरैहा में कराई जाती रही है, किंतु पूर्व की सरकारों ने मछुआ समाज के दोहन के लिए बिना संसद में संशोधन किये बिना मछुआ समाज की सभी उपजातियो को अनुसूचित से निकलकर पिछड़े में डाल दिया और पूर्व की सरकारों द्वारा इस मुद्दे पर केवल वोट बैंक को राजनीति की गई है।

डॉ निषाद ने बताया कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री ने RGI “रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया” को मछुआ आरक्षण के संबंध में पत्र लिखकर जानकारी मांगी गई थी, (RGI) ने पत्र के उत्तर में कहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य में केवट, मल्लाह, बिंद समेत 17 जातियां मछुआ समाज की उपजातियां है।

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