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घोषी में एनडीए प्रत्याशी दारासिंह चौहान के समर्थन में निषाद पार्टी के तत्वाधान में विशाल जनसभा

गोरखपुर/दिनाँक 25 अगस्त 2023

घोषी में एनडीए प्रत्याशी दारासिंह चौहान के समर्थन में निषाद पार्टी के तत्वाधान में विशाल जनसभा

सरकार बनाने में पार्टी के कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका/जिसने कार्यकर्ता का सम्मान नहीं किया वह इतिहास बन जाते हैं –डॉ संजय निषाद

मऊ का चुनाव कार्यकर्ताओं के बल पर ही जीता जाएगा/इसका सारा श्रेय निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं का होगा–डॉ संजय निषाद

मऊ के चुनाव में मैन ऑफ दी मैच की भूमिका में निषाद पार्टी होगी/कार्यकर्ता ही संगठन की मजबूत कड़ी/–डॉ संजय निषाद

कार्यकर्ताओं के मेहनत से ही निषाद पार्टी/सरकार के सहयोगी दल के रुप में अपनी पहचान बनाई है–डॉ संजय निषाद

किसी भी संगठन के कार्यकर्ता प्राण होते हैं–डॉ संजय निषाद

कार्यकर्ता की सही पहचान/गुण:– कार्यकर्ता की भाषा शैली,
संगठन के कार्य को गति देने वाला, जवाबदेह-(जिम्मेंदार) सहज स्वभाव,सरल अनुशासित एवं मिलनसार/जन भावनाओं के अनुरूप कार्य करने वाला होना चाहिए।

डॉ संजय कुमार निषाद ने कहा कि कार्यकर्ताओं के सहयोग से निषाद पार्टी सरकार के सहयोगी दल के रूप में अपनी पहचान बनाई है/मऊ का चुनाव कार्यकर्ताओं के बल पर ही जीता जाएगा मैन ऑफ़ द मैच निषाद पार्टी होगी इसका पूरा श्रेय निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं का होगा।

दिनांक 16 अगस्त, 2016 को निषाद पार्टी का पंजीकरण मछुआ समाज की स्थापना दिलाने के लिए हुआ है। सभी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं, समर्थकों और शुभचिंतकों एवं साथियों सहित जन जागृति अभियान में अवश्य शामिल हो। निषाद पार्टी आप सभी का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करती है। डॉ निषाद ने बताया कि निषाद राज की सत्ता उनकी अच्छी सोच के कारण था।उन्होंने कहा कि निषाद राज के किले (स्वर्ग भूमि) की मिट्टी का चन्दन लगाये,और अपनी सोच बदलें और सत्ता की चाभी लेकर लोगों को सुख पहुंचाएं।

निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डा. संजय कुमार निषाद ने शैक्षिक, समाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक रूप से दबे कुचले निषाद समाज को रसातल से ऊपर उठाकर धरातल पर लाया है पॉलिटिकल गॉडफादर ऑफ फिशरमैन ने।

डॉ. संजय कुमार निषाद- निषाद पार्टी का स्पष्ट विजन, मिशन, नीति है कि मछुआ समाज को ऐतिहासिक,आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, वोटर कैडर के शिक्षण-प्रशिक्षण से लोगों में निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी) नेता, नारा, झंडा, चुनाव चिन्ह के महत्व को सभी श्रेणी के पढ़े लिखे लोगों को राजनीतिक ज्ञान देना है। क्योंकि राजनीति देश के विकास और जनता के भविष्य एवं अर्थव्यवस्था की अभिभावक है।

उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि मछुआ समाज के लोगों को तलवार और तोप के डर से मुगलों और अंग्रेजों को अभिभावक माना।आक्रमणकारियों ने भारतीय संस्कृति, अर्थव्यवस्था तथा हमारा धर्म बदला और लूट मचाई, ठीक इसी प्रकार आजादी के बाद पूर्व की सरकारों को कांग्रेस, सपा, बसपा आदि को राजनैतिक अभिभावक माना। किंतु पूर्व की सरकारों की सोच भी अपने परिवारिक विकास के लिए अन्य जातियों के साथ भेदभाव, शोषण और उनके नोट तथा नौकरियों के हिस्से पर लूट मचाया। इस क्रूरता और अन्याय से भरा इतिहास जानना जरूरी है।

डॉ संजय निषाद ने बताया कि राजनैतिक इक्षा शक्ति ईश्वर की शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली है, बस आपका विजन सही होना चाहिए। इसलिए ईश्वर के साथ राजनीति की भी पूजा(प़ू=पूरी + ज=जानकारी) होनी चाहिए। मछुआ समाज की सभी समस्याओं का समाधान निषाद पार्टी से ही सम्भव है। समाजिक संगठन के साथ इसलिए निषाद पार्टी और राष्ट्रीय निषाद एकता परिषदका गठन हुआ है,इसीलिए पूर्व में सभी समाजिक संगठन बिना राजनैतिक दल के होने के कारण समाज का उत्थान न कर सकी। लोकतन्त्र में असली भगवान वोटर होता है।जब वोटर पॉलिटिकल पार्टनर बनेगा तभी लोकतन्त्र में गरीबी खत्म होगी। ऐसे में निषाद पार्टी का वोटर के पास जाना होगा और वोटर को होश और जोश मे लाना होगा। वोटर को राजनीति पढ़ाना ही होगा। वोटर द्वारा गलत जगह वोट डालने से सत्यानाश किये कराये पर पानी फिर जाएगा। मतदाता को बताना होगा और सही जगह वोट डलवाना होगा। चार कार्यक्रम का मुहिम चलाया है। लोगों के अंदर राजनीतिक चेतना लाकर/उन्हें जानकार, समझदार बनाकर/होशियार बनाकर उन्हें समाजिक और राजनीतिक हिस्सेदारी देना है।

डॉ निषाद ने बताया कि आप जानते हैं कि आजादी में मछुआ समुदाय का गौरवशाली इतिहास रहा है, लेकिन पूर्व में केंद्र और राज्य सरकारों ने हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। इतिहास साक्षी है सतीचौरा घाट कानपुर समाधान निषाद एवं लोचन निषाद, जलियांवाला बाग कांड सरदार उधम सिंह निषाद, बैरकपुर छावनी गंगादीन निषाद अंग्रेजों की लड़ाई में हजारों शहीद हुए जेल की यातनाएं सही, काला कानून (क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट), जन्मजात अपराधी घोषित कर नरकीय जीवन जीने पर मजबूर कर दिया।

उन्होंने कहा कि जीवकोपार्जन के साधन को माइनिंग एक्ट, फिशरीज एक्ट, फेरिज एक्ट बनाकर पट्टा नीति लागू किया कि मछुआरे कमाएंगे, सरकार को चुकाएंगे, जो बचेगा उसको आधा पेट खाएंगे, बेईमानों की सरकार में लाएंगे। कमजोर शरीर कमजोर दिमाग लेकर बार-बार इन्हें बर्बाद करने वालों की ही सरकार बनाएंगे। मछुआरा ही नदियों का राजा और रक्षक है। नदी के संसाधनों पर उसका हक है लेकिन शोषणकारी दलों को वोट देकर अपना हिस्सा लुटा दिया। अपने वोट से सरकार में पार्टनर बनकर अपना हिस्सा लेंगे, सबका अधिकार दिलाने के लिए ही निषाद पार्टी का गठन हुआ है। निषाद पार्टी की राजनीतिक यात्रा इस समाज को हक दिलाने के लिए हजारों कार्यकर्ता, पदाधिकारी इस 8वें स्थापना दिवस पर शपथ लेगें कि 18 प्रतिशत आबादी गांव के सचिवालय से लेकर दिल्ली और लखनऊ के सचिवालय में 18प्रतिशत कर्मचारी अधिकारी इस समाज से होंगे।

डॉ निषाद ने बताया कि हर बिरादरी में निर्बल है निर्बलों को सबसे पहले नौकरी, व्यापार, शिक्षा (फ्री में दवाई, फ्री में पढ़ाई, फ्री में किसानों को खाद, बीज और बुवाई) निषाद पार्टी का सिद्धांत है निर्बलों के वोट से लेंगे सीएम, पीएम और आरक्षण से लेंगे एसपी, डीएम। जीता जागता उदाहरण सपा, बसपा जिसकी पुष्टि समाजिक न्याय समिति की रिर्पोट करती है।

13 जनवरी 2013 को निषाद पार्टी नें प्रयागराज, संगम राज निषाद, तीरथ राज निषाद के पावन धरती स्वर्गभूमि श्रृंगवेरपुर धाम भगवान राम के आत्म बाल सखा महाराजा गुह्यराज निषाद के किले पर डॉ. संजय कुमार निषाद ने अपने साथियों सहित इस विचार का कसम खाया था कि कभी देश की बागडोर (सत्ता) की कमान आज से 2000 वर्ष पहले निषादराज के हाथ में थी, श्रीराम चन्द्रजी ने उन्हें गले लगाया, बदले में निषाद राजजी की सेना ने रावण राज खत्म किया था। श्रीरामचन्द्रजी की कैबिनेट में निषादराज आए तब रामराज्य आया था। तब देश के लोगों के हाथ में था डंडा! उसमें जय निषाद राज का था झंडा! तब देश सोने की चिड़िया थी, तब दुनिया के 3रूपया/भारत 1रुपए के बराबर चलता था, तब भारत विश्वगुरू था। विदेशियों ने हमारे सीधापन और ईमानदारी का फायदा उठाकर, धोखे से हमारे राजाओं की हत्या कर हमें गुलाम बना लिया, 750 वर्ष मुगलों ने तलवार की नोक पर हमारे भारतीयों की गर्दन उतारते रहे, हमारे डंडे में अपना झंडा डालने की कोशिश करते रहे!!!

जो कमजोर रहे, वो डर गए व सांस्कृतिक रूप से मर गए! लेकिन हमारे पुरखों ने नहीं स्वीकारी मुगलों की गुलामी!!!

भले ही हट गया, निषाद राज का झंडा, खाली रहा हमारा डंडा, लेकिन नहीं लगाए मुगलों का झंडा!!!

इसी बीच लेकर आए अंग्रेज अपना झंडा! अंग्रेज ने 350 वर्ष चलाता रहा तलवार और तोप/नहीं लगा पाए निषाद राज के वंशजों के सर पर टोप!!!

अंग्रेजों से लड़ता रहा निषाद, लाठी लेकर उठाता रहा अपना हाथ!!अंग्रेजों को काटते मारते और नदियों में डुबोते रहे निषाद, नहीं दिया उनका साथ, खाली डंडा लिये रहा अपने हाथ!!!

आजादी के बहाने धोखे से कांग्रेस ने लिया निषादों का साथ! कांग्रेस ने मिलाया निषादों से हाथ! उन्होंने बनाया चोरी से अपना झंडा और हमसे किया भीतरघात!!!

निषादराज वंशजों का खाली पाया डंडा! मतलबी कांग्रेसियों ने उसमें लगाया अपना झंडा !!!
धोखेबाजों ने धोखा देकर लिया हमारा वोट! आरक्षण खाकर उल्टा दिया हमको चोट!!!

सब मिलकर ले गए फंड, हमे दे दिया गरीबी लाचारी बेकारी रूपी दंड!!!वो सब मिलकर लिए मजा! और हम लोगों को दे दिया गरीबी रुपी सजा!!!

हाथी वालों ने भी कांग्रेसियों की खूब सेवा!! देखा राजनीतिक लाभ रूपी मेवा!!!बसपा ने भी बनाया अपना नीला झंडा! और मन में सोचा रखा धोखा देने वाला फंडा!!!खाली पाया निषादों का डंडा, धोखे से लगा दिया नीला झंडा! उसने दिया 15-85 का नारा देकर! कुछ लेदर मैन को छोड़ बना दिया सबको बेचारा!!!जिसकी बुद्धि थी पांव में, वो भी चला पंजा और हाथी की छांव में!!!

सपा ने बनाया अपना साइकिल का झंडा और मन में बनाया मिल्कमैन का फंडा!!!निषादों का 18प्रतिशत की आबादी का दिखा डंडा और उसमें लगाया अपना झंडा!!!उसके चंगू मंगू ने लिया फंड और निषादों को आरक्षण में लटका कर दे दिया दंड!!! सभी चंगू मंगू ने लिया मजा हमको 17 जातियों के नाम पर उलझा कर दे दिया सजा!!!मछुआरों की नौकरियों पर इन सत्ताधारी पार्टियों के लोग करके कब्जा हो गए चंगा!!!

इस राजनीतिक दुष्परिणाम को देखकर डॉ. संजय निषाद ने निषाद राज किले पर राजपाट के संकल्प का लिया पंगा! निषाद राज के झंडे के नीचे मछुआरों को सजाया, उत्तर प्रदेश की सत्ता से इन बेईमानों को भगाया! डॉ संजय ने किया ऐलान,ऐ गरीबों बात मान लो हमारा,अब तुम्हारे 18 प्रतिशत आबादी का रहेगा डंडा और उसमें सभी गरीबों का पक्का लगेगा जय निषाद राज का झंडा! तब गरीबों के दरवाजे पर आएगा उनके हिस्से का फंड और इन बेईमानों को मिलेगा दंड! धोखे बाजो को मिलेगा सजा और निर्बलों, गरीबों को मिलेगा सत्ता का मजा!

डॉ निषाद ने कहा कि जिस संगठन का समाज नायक विहिन होता है, उस समाज का राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक उत्थान कभी भी नहीं होता है। जिस समाज ने नेतृत्व को अपना अगुआ मानकर ठान लिया, उसने उत्थान कर लिया।

डॉ निषाद ने कहा कि बिखरे हुए समुदाय के अंदर ऐतिहासिक राजनैतिक सामाजिक चेतना लाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष निषाद राज किले पर 16 अगस्त 2016 को आने वाली पीढ़ी के उत्थान के लिए पार्टी का पंजीकरण हुआ था, कि बिना झंडे, नेता, पार्टी, नारा, चुनाव चिन्ह के हिस्सा नहीं मिलता, उत्थान नहीं होता। निर्बल से सबल नहीं बन पाता, हमें अपने क्रांतिकारी पुरखों के सम्मान में हजारों साथियों सहित आपना हक हिस्सा लेने विरोधी शक्तियों को परास्त करने के लिए एकजुटता का परिचय दें।

उन्होंने कहा कि समस्या आप सबकी है,इसका समाधान भी आप लोगो के पास ही है। बेईमानों की हिरासत से छूटना है और अपनी विरासत को पाना है, तो तन-मन-धन से संकल्प दिवस पर मनाना है।

डॉ निषाद ने बताया कि आरक्षण के विषय से आप सब अवगत है कि 29 अगस्त 1977 के शासनादेश में भारत सरकार के संविधान में सूचीबद्ध अनुसूचित जाति के 66 जातियों का समूह उल्लिखित है। सेन्सस ऑफ इण्डिया 1961 एपेनडिस्क टू सेन्सस मैनुअल पार्ट (एक) उत्तर प्रदेश में उल्लिखित है कि केन्द्र सरकार से इन अनुसूचित जातियों के समूह के पर्यायवाची व जेनरिक नामों का जनगणना करने के सम्बन्ध में जारी है। जिसकी नियामवली की सूची सरकार द्वारा प्रकाशित है जिसमें अनुसूचित जातियाँ के नाम के आगे उनके प्रर्यायवाची और जेनेरिक नाम दिए गये हैं। इस सम्बन्ध में क्रम संख्या 51 पर मझवार की पर्यायवाची जेनेरिक नाम केवट, मल्लाह आदि हैं।

उन्होंने बताया कि क्रम संख्या 57 पर पासी की भर राजभर आदि और क्रम संख्या-63 पर शिल्पकार में प्रजापति कुम्हार आदि उल्लिखित हैं तथा उसके गाइड लाइन जिन बिन्दुओं के आधार पर बनाए गए हैं, उसमें उनका जो व्यवसाय है- फिशरमैन, क्रॉफ्टमैन, हण्टर, फॉरेस्टिव आदि उल्लिखित है।

उपरोक्त आशय का पत्र दिनांक 18-12-2021 को मुख्यमंत्री उ0प्र0 को दिया गया कि देश के अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के व्यक्तियों को उनके उपनाम, सरनेम लगाने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है। इसी क्रम में दिनांक 20-12-2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इण्डिया जनगणना आयुक्त भारत सरकार नई दिल्ली से मझवार जाति उनके पर्यायवाची उपनाम को मझवार अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र जारी करने का दिशा निर्देश और मार्गदर्शन की माँग किया गया। जिसके क्रम में विशेष सचिव/महारजिस्ट्रार जनगणना, भारत सरकार के पत्र दिनांक 18-01-2022 को उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति मझवार के पर्यायवाची उपनाम के विषय में सामाजिक न्याय मंत्रालय, भारत सरकार को एक पत्र लिखा कि जनगणना विभाग उत्तर प्रदेश के सन् 1961 में सेन्सस ऑफ इण्डिया 1961 एपेनडिस्क टू सेन्सस मैनुअल पार्ट (एक) उत्तर प्रदेश में उपरोक्त पर्यायवाची उपनाम उपजातियां क्रम संख्या-51 पर मंझवार की पर्यायवाची जाति केवट, मल्लाह आदि का नाम अंकित है।

विगत 30 सालों से उनके हक अधिकार न मिलने से ये जातियां समाज व विकास की मुख्य धारा से पिछड़ती चली गये। पिछली सरकार ने जाते-जाते दिनांक 31-12-2016 को राज्यपाल द्वारा अधिसूचना जारी कर उपरोक्त जातियों को पिछड़ी जाति से निकाल दिया। जबकि सन् 1961 सेन्सस मैनुअल पार्ट (01) सरकार द्वारा जो सूची प्रकाशित है, उसमें उपरोक्त जातियाँ पूर्ववत् सम्मिलित हैं। यहाँ यह कहना न्याय संगत होगा कि उपरोक्त जातियाँ अनुसूचित जाति से हैं एवं उपरोक्त सेन्सस रिपोर्ट एवं केन्द्र सरकार के अनुसूचित जातियों की सूची को देखते हुए उपरोक्त जातियों को मझवार तरमाली पासी, शिल्पकार का अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र निर्गत होना चाहिए।

डॉ निषाद ने बताया कि आरक्षण के मुद्दा का मामला केन्द्र सरकार द्वारा हल किया जाना है। उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश का पार्ट रहा है जहां पर शासनादेश के माध्यम से बताया गया कि संविधान में सूचीबद्ध शिल्पकार जाति नहीं जातियों का समूह है। तहसील स्तर पर शिल्पकार के उपजातियों के समूह को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता था। ऐसे में उत्तराखण्ड सरकार ने शिल्पकार के पर्यायवाची जातियाँ (कुम्हार, प्रजापति आदि) का वर्णन करते हुए शासनादेश जारी करके उनको शिल्पकार अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी मामला परिभाषित करने का ही है क्योंकि जब एक बार राष्ट्रपति एवं केन्द्र सरकार ने मान लिया कि केवट, मल्लाह आदि मझवार नाम से अनुसूचित जाति की सूची में सूचीबद्ध है। इस समय उत्तर प्रदेश में हमे पिछड़ी जाति में शामिल किया गया जो गैर संवैधानिक है। उपरोक्त जातियों को पिछड़ी से हटाकर और केन्द्र सरकार संसद व सामाजिक न्याय मंत्रालय से संवैधानिक एवं न्यायोचित तरीके से मझवार, तुरहा, पासी, शिल्पकार जाति को परिभाषित करें जिससे पर्यायवाची उपनाम केवट, मल्लाह, बिन्द, कहार कश्यप, तुरैहा, बाथम, रैकवार, धिवर, प्रजापति, भर, राजभर आदि को अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र पाने का हक है। जिससे कि इन जातियों को सवैधानिक संरक्षण तथा सुरक्षा मिल सके तथा इस समाज को भी विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके।

उपरोक्त आरक्षण संबंधित मुद्दे को संतकबीर नगर के सांसद Eng.प्रवीण कुमार निषाद द्वारा केंद्रिय सामाजिक न्याय मंत्रालय में मझवार से संबंधित उत्तर प्रदेश के संबंध में जबाब मांगा गया था, जवाब में 26 जुलाई 2022 को राज्यमंत्री ए. नारायण स्वामी ने लिखित रूप से जबाब दिया है कि मझवार 1950 से ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अनुसूचित जाति की सूची में है और इनकी उपनाम/पर्यायवाची/सिननोम्स के लोगों को राज्य सरकार जांच कर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी कर सभी सुविधाएं प्रदान करें।

उपरोक्त पुकारू पर्यायवाची उपनामों को मझवार, तुरैहा, पासी, शिल्पकार जाति के नाम का प्रमाण-पत्र निर्गत करें जो सरकार की मंशा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ज्ञापन के माध्यम से म प्रधानमंत्री,गृहमंत्री , जेपी नड्डा , मुख्यमंत्री से मिलकर मांग रखा कि इन जातियों को संसद या सहकारिता एवं सामाजिक न्याय मंत्रालय से परिभाषित कर इनके मूल जाति व समूह मझवार, तुरैहा, पासी, शिल्पकार का प्रमाण-पत्र निर्गत करने की कृपा हो। सभी ने आश्वस्त किया जल्द ही मछुआ समुदाय के आरक्षण संबंधित विसंगति दूर होगा।

आरक्षण से जुड़े सामाजिक लाभः– 1) इस समय अगर कोई ओबीसी की पिटाई करता है तो उस पर सामान्य धाराओं में कार्रवाई होती है, वही अनुसूचित जाति के व्यक्ति की पिटाई या फिर उसे अपशब्द कहने पर SC/ST एक्ट लगता है और आरोपी की तुरंत गिरफ्तारी होती है। अगर पुलिस प्रशासन कार्रवाई नहीं करता है तो पीड़ित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का दरवाजा खटखटा सकता है। चूंकि इस आयोग को ज्यूडिशियल पावर प्राप्त है इसलिए इसके आदेशों की अवहेलना करने से अधिकारी बचते हैं।

2) आरक्षण का लाभः ओबीसी को 27 फीसदी केवल नौकरी में आरक्षण है, लेकिन इसमें तीन हजार से अधिक जातियां हैं. इसलिए उसका लाभ मिल नहीं पाता. लेकिन अनुसूचित जाति में इसके मुकाबले काफी कम जातियां हैं और आरक्षण 21 फीसदी राजनीति और नौकरी दोनों में है इसलिए इसका लाभ सभी को मिल पाता है. सभी सरकारी संस्थानों में उन्हें एससी आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा, जिससे उनका तेजी से विकास होगा।

3) फीस में छूटः अनुसूचित जातियों के छात्रों को ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं में कोई शुल्क नहीं देना पड़ता, जबकि ओबीसी छात्रों से अधिकांश जगहों पर सामान्य के बराबर ही शुल्क लिया जाता है. स्कूल, काॅलेजों में फीस नाम मात्र की है. स्कालरशिप भी मिलती है. केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए देश भर में हजारों डे बोर्डिंग स्कूल बनाए हैं।

4) निशुल्क कोचिंगः संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग और विभिन्न रेलवे भर्ती बोर्डों तथा राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित गुप-ए, बी पदों, बैंकों, बीमा कंपनियों और सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा संचालित अधिकारी ग्रेड की परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग सुविधा मिलती है।

डॉ संजय निषाद ने कहा कि हमारी पार्टी की प्रमुख मांगे हैं कि संविधान में सूचीबद्ध मझवार, गोंड़, तुरैहा, खरवार, बेलदार, खरोट, कोली का अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र यथाशीघ्र जारी किया जाय। राष्ट्रपति के सेंसस मैनुअल 1961 के आदेशानुसार मछुआरों को उपरोक्त जातियों की जनगणना हो।

उपरोक्त सभी समूहों की पर्यायवाची जातियों को रेणुका आयोग के रिपोर्ट के अनुसार विमुक्ति जनजाति की सभी सुविधाएं हो। ताल, घाट, नदी पूर्व की भांति निषादवंश के मछुआ समुदाय को दिया जाय तथा नदियों के किनारे खाली पड़ी भूमि के नीचे मौरंग, बालू को भी मछुआ समुदाय के लिए आरक्षित हो।

मत्स्य मंत्रालय के सभी योजनाओं का लाभ परंपरागत गरीब मछुआरों को मिले। मत्स्य मंत्रालय द्वारा जारी बीमा योजना को ग्रामसभा में सभा आयोजित कर मछुआ समुदाय का बीमा हो। मत्स्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन क्षेत्रीय भाषाओं में लिखवाकर मछुआ समुदाय के गांवों में लगाया जाय। आधुनिक शिक्षण प्रशिक्षण हेतु गांव के गरीब मछुआरों को प्रोत्साहन राशि मिले। सरकार द्वारा दी जानेवाली अनुदान सहायता राशि बिना गारंटी के मछुआ समुदाय को प्रदान हो।

डॉ निषाद ने बताया कि दक्षिणी भारत जैसे उत्तर प्रदेश के मछुआरों को भी सुविधा दी जाय। मत्स्य मंत्रालय के विभागों को ब्लॉक स्तर पर खोला जाय। निजी एवम् सरकारी विद्यालयों में मछुआ समुदाय के बच्चों का सीट आरक्षित कर पढ़ाई लिखाई के साथ अन्य सुविधाएं भी निःशुल्क हो।

उन्होंने कहा कि जनसंख्या के आधार पर सभी क्षेत्रों में मछुआ समुदाय के सभी जातियों तथा उपजातियों के लिए सीटें आरक्षित की जाय। मछुआ समुदाय के सभी महापुरुषों का जीवन वृतांत विस्तार से पाठयक्रमों में शामिल किया जाय और उनके गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित किया जाय और विस्तृत जानकारी दिया जाये।

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