जनपद-बस्ती:-पत्रकार एकता के आगे नतमस्तक हुआ तहसील प्रशासन, रिहा हुए संतोष पाल
– डीएम के फटकार पर तहसील प्रशासन को करनी पडी पत्रकार पाल की रिहाई
– एसडीएम सदर बस्ती आशाराम वर्मा ने राजनैतिक दबाव मे पत्रकार को शान्तिभंग के धारा मे भेजा था जेल
शान्तिभंग की जिस धारा में आम आदमी की खड़े खड़े जमानत हो जाती है उसी धारा में एसडीएम आशाराम वर्मा ने वरिष्ठ पत्रकार संतोष पाल को सोमवार को देर शाम जेल भेज दिया। सोमवार शाम को देर से खबर वायरल होने के बाद स्थानीय प्रशासन की लगातार फजीहत हो रही थी। पत्रकार संगठनों ने प्रशासन को निशाने पर लिया। तीखी बातचीत हुई। देर रात मे एक वरिष्ठ पत्रकार की जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल से वार्ता हुई। डीएम ने प्रकरण को गंभीरता से लिया। डीएम के फटकार पर एसडीएम सदर आशाराम वर्मा बैकफुट पर आ गये।
मंगलवार को दर्जनों की संख्या में पत्रकार संजय द्विवेदी की अगुवाई में एसडीएम कोर्ट पहुंच गये। पत्रकारों का गुस्सा देखने लायक था। हर किसी ने एसडीएम के कृत्य को शर्मनाक और चौथे स्तंभ की आजादी पर हमला बताया। फिलहाल बैकफुट पर आये तहसील प्रशासन को आनन फानन में पत्रकार संतोष पाल और उनके अन्य लोगों की रिहाई जारी करनी ही पड़ी। बाद में सभी पत्रकार जिला कारागार पहुंच गये, और जेल अधीक्षक से साथी को तत्काल रिहा करने की मांग की। करीब आधे घण्टे बाद उन्हे रिहा कर दिया गया। पत्रकारों ने जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल के सर्वोत्तम सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
जेल से बाहर आते ही पत्रकारों ने अपने साथी संतोष पाल का स्वागत किया। तहसील प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी हुई। खबर है कि राजनीति और ऊची रसूख के आगे बौना हो चुका प्रशासन किसी बड़े अधिकारी के इशारे पर संतोष पाल को एससीएसटी एक्ट में फर्जी तरीके से फंसाने का कुचक्र रच रहा है। पत्रकारों ने चेतावनी दिया है कि ऐसा हुआ तो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे प्रशासनिक अधिकारी सीधे पत्रकारों के निशाने पर होंगे। संतोष पाल को रिहा कराने में योगदान देने वाले पत्रकारों में वरिष्ठ पत्रकार नीरज श्रीवास्तव, अशोक श्रीवास्तव, दिनेश प्रसाद मिश्रा, राज प्रकाश, रमेश मिश्रा, योगेश शुक्ला, अनिल सिंह, जितेंद्र यदुवंशी, राज आर्या, तबरेज आलम सहित अन्य पत्रकार मौजूद रहे।
( बस्ती से आनंदधर द्विवेदी की रिपोर्ट…)