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तम्बाकू से 40 तरह के कैंसर, 25 अन्य बीमारियों का खतरा : डॉ. सूर्यकान्त

महराजगंज ब्यूरो
30/05/020

*तम्बाकू से 40 तरह के कैंसर, 25 अन्य बीमारियों का खतरा : डॉ. सूर्यकान्तblank*

*देश में तम्बाकू से हर रोज तीन हजार लोग तोड़ देते हैं दम विश्व तम्बाकू निषेध दिवस (31 मई) पर विशेष।* तम्बाकू से 40 तरह के कैंसर, 25 अन्य बीमारियों का खतरा : डॉ. सूर्यकान्त बीड़ी-सिगरेट का धुँआ धूम्रपान न करने वालों को भी करता है प्रभावित रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से घेर लेती हैं संक्रामक बीमारियां बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों का सेवन करने वाले लोग न केवल अपने जीवन से खिलवाड़ करते हैं बल्कि घर-परिवार की जमा पूँजी को भी इलाज पर फूंक देते हैं। इस पर काबू पाने के लिए सरकार और स्वास्थ्य महकमे के साथ ही विभिन्न संस्थाएं भी लोगों को जागरूक करने में जुटी हैं। यह समस्या केवल भारत की नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या बन चुकी है। इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है, जिसके जरिये लोगों को तम्बाकू के खतरों के प्रति सचेत किया जाता है। इस बार कोरोना के संक्रमण को देखते हुए जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन संभव नहीं है, इसलिए सोशल मीडिया, फेसबुक लाइव, रेडियो/वीडियो प्रसारण व विज्ञापनों के जरिये धूम्रपान के खतरों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाना है।
इस बार “प्रोटेक्टिंग यूथ फ्रॉम इंडस्ट्री मैनिपुलेशन एंड प्रिवेंटिंग देम फ्रॉम टोबैको एंड निकोटिन यूज” थीम पर कार्यक्रम आयोजित किया जाना है। ।
​स्टेट टोबैको कंट्रोल सेल के सदस्य व किंग जार्ज चिकित्सा विश्विद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों के सेवन से आज हमारे देश में हर साल करीब 12 लाख लोग यानि करीब तीन हजार लोग हर रोज दम तोड़ देते हैं।उन्होंने सिगरेट पीने या तंबाकू का सेवन करने वालों को करीब 40 तरह के कैंसर और 25 अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आने की पूरी सम्भावना रहती है। इसमें मुंह व गले का कैंसर प्रमुख हैं। इसके अलावा इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है, जिससे संक्रामक बीमारियों की चपेट में भी आने की पूरी सम्भावना रहती है। यही नहीं धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों तक तो करीब 30 फीसद ही धुँआ पहुँचता है बाकी बाहर निकलने वाला करीब 70 फीसद धुँआ उन लोगों को प्रभावित करता है जो कि धूम्रपान नहीं करते हैं । यह धुँआ (सेकंड स्मोकिंग) सेहत के लिए और खतरनाक होता है ।

*धूम्रपान से आती है नपुंसकता*

डॉ. सूर्यकान्त का यह भी कहना है कि धूम्रपान कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा लगा पाना बहुत कठिन है, यहाँ तक कि आज का हमारा युवा इसके चक्कर में नपुंसकता तक का शिकार हो रहा है। धूम्रपान शुक्राणुओं की संख्या को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके चलते नपुंसकता का शिकार बनने की सम्भावना बढ़ जाती है । इसी को ध्यान में रखते हुए इस साल की थीम भी युवाओं पर केन्द्रित है ताकि उनको इस बुराई से बचाया जा सके।

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