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स्वास्थ्य विभाग की मजबूत कड़ी माने जाने वाली आशा कार्यकत्रीयों में मानदेय को लेकर मायूसी..?

स्वास्थ्य विभाग की मजबूत कड़ी माने जाने वाली आशा कार्यकत्रीयों में मानदेय को लेकर मायूसी..?blank

न्यूज़ 17 इंडिया ब्यूरो विश्वामित्र मिश्र की रिपोर्ट.

गोरखपुर- स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ माने जाने वाली आशा कार्यकत्री के साथ सरकार सौतेला व्यवहार क्यों कर रही ?
जबकि आशा कार्यकत्री प्रसव से लेकर नवजात शिशु के टीकाकरण समय-समय पर स्वास्थ्य सेवा का लाभ गांव – गांव के घर-घर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाली आशा कार्यकत्री का सरकार तनिक भर ध्यान नहीं दे रही।
जबकि आशा कार्यकत्री के ऊपर स्वास्थ्य विभाग की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। सब बखूबी निभाती है। जैसे कि गर्भवती महिलाओं के प्रसव जांच ,समय – समय पर टीकाकरण, हेमोग्लोबिन की देखरेख, अस्पताल में प्रसव कराना, प्रसव उपरांत जच्चा बच्चा कार्ड से लेकर बच्चों के टीकाकरण बीसीजी ,डीपीटी यहां तक की गांव की किशोरियों की भी देखभाल आशा कार्यकत्रीयों पर है ।जैसे कि किशोरावस्था में होने वाली परेशानियों के बारे में जानकारी देना। उनका उपचार अस्पताल ले जाकर कराना आदि जिम्मेदारी आशा कार्यकत्री बखूबी निभाती हैं । परंतु उनके प्रोत्साहन राशि में सरकार द्वारा ना ही कोई वृद्धि की गई है ना ही सरकार ध्यान दे रही है।

जबकि सरकार अन्य विभागों के मानदेय की प्रोत्साहन राशि बढ़ाई है,वहीं आशा कार्यकत्रीयों में मानदेय को लेकर मायूसी दिख रही है । आशा कार्यकत्रीयों का कहना है कि सरकार हम लोगों के प्रति सोतेला व्यवहार क्यों कर रही है ?

जबकि हम आशा कार्यकत्री दिन हो या रात सभी को समय – समय पर उपचार, कोविड-19 के समय घर – घर जाकर कोविड-19 का जांच कराने के लिए प्रेरित कर लोगों को घर में सुरक्षित रखने के लिए आशाओं ने जिम्मेदारी बखूबी निभाई थी. इतना ही नहीं कोविड-19 के समय प्रवासी मजदूरों के लिए आशा कार्यकत्री अपनी परवाह किए बिना लोगो के घर – घर जाकर सरकारी सुविधा पहुंचा रही थी । उसी समय प्रसव का कार्य भी देख रहीं थी। फिर भी सरकार हम आशा कार्यकत्रीयों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है।

आशाओं ने कहा कि आशा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में लोगों को टीकाकरण, स्वच्छता, जच्चा-बच्चा देखभाल संस्थागत प्रसव आदि के अलावा राज्य सरकार अन्य कार्य भी संचालित करवाती है। इनके बदले उन्हें कोई मानदेय अथवा कोई वेतन नहीं दिया जाता, बल्कि अल्प प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है। इन्हीं कार्यों को राज्य के सरकारी कर्मचारी भी करते हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आशाओं का प्रोत्साहन राशि दोगुनी करते करने का ऐलान किया था लेकिन मात्र एक हजार रुपये की वृद्धि की गई है।आखिरकार सरकार हम आशाओं के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है।

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