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हरियाली तीज–तृतीया तिथि/शुभ मुहूर्त:-18 अगस्त 2023- 8:01 pm

हरियाली तीज–तृतीया तिथि/शुभ मुहूर्त:-18 अगस्त 2023- 8:01 pm

लेख:- हरियाली तीज,भाग-2, अंतिम (19.08.2023) हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त:-तृतीया तिथि आरम्भ-18 अगस्त 2023- 8:01 pm

तृतीया समाप्त-19.08.2023- 10:19 pm

पूर्व में प्रकाशित भाग के अंश………..

श्रावण मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि मे मनाई जाने वाली तीज को हरियाली तीज, मधुस्रवा तीज या श्रावणी तीज भी कहा जाता हैं। हरियाली तीज आमतौर पर नाग पंचमी के दो दिन पूर्व यानि श्रावण माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को आती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हरियाली तीज प्रतिवर्ष जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। वर्ष 2023 मे यह हरियाली तीज 19 अगस्त को मनाई जाएगी।

एक वर्ष में चार तीज:-
भारत वर्ष में तीज एक साल में चार बार मनाई जाती है। जोकि वर्ष 2023 मे इस दिन मनाई जाएगी।

गतांक से आगे………

एक वर्ष मे मुख्य रूप से चार तीज आती है, जोकि वर्ष 2023 मे इस प्रकार से रहेगीं।

अखा तीज:- इस तीज को अक्षय तृतीया तीज भी कहते हैं. हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने की शुक्‍ल पक्ष तृतीया को अक्षया तृतीया तीज मनाई जाती है । वर्ष 2023 मे अखा तीज अर्थात अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को मनाई गई थी

हरियाली तीज:- हिन्‍दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्‍ल पक्ष तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है, इस बार 19 अगस्त को हरियाली तीज मनाई जाएगी।

कजरी तीज:- प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास यानि क भादो माह के कृष्‍ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है, वर्ष 2023 मे 2 सितंबर को कजरी तीज मनाई जाएगी ।

हरितालिका तीज:-हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार भादो माह के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। वर्ष 2023 मे 19 अगस्त को हरितालिका तीज मनाई जाएगी।

हरियाली तीज व्रत कथा:-
हरियाली तीज उत्सव को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या से माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया।

कथा के अनुसार माता गौरी ने पार्वती के रूप में हिमालय के घर पुनर्जन्म लिया था। माता पार्वती बचपन से ही शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया। एक दिन नारद जी पहुंचे और हिमालय से कहा कि पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं। यह सुन हिमालय बहुत प्रसन्न हुए। दूसरी ओर नारद मुनि विष्णुजी के पास पहुंच गए और कहा कि हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे कराने का निश्चय किया है। इस पर विष्णुजी ने भी सहमति दे दी।

नारद इसके बाद माता पार्वती के पास पहुंच गए और बताया कि पिता हिमालय ने उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया है। यह सुन पार्वती बहुत निराश हुईं और पिता से नजरें बचाकर सखियों के साथ एक एकांत स्थान पर चली गईं। ने और सुनसान जंगल में पहुंचकर माता पार्वती ने एक बार फिर तप शुरू किया। उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और उपवास करते हुए पूजन शुरू किया। भगवान शिव इस तप से प्रसन्न हुए और मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। इस बीच माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय भी वहां पहुंच गए। वह सत्य बात जानकर माता पार्वती की शादी भगवान शिव से कराने के लिए राजी हो गए।

शिव इस कथा में बताते हैं कि बाद में विधि-विधान के साथ उनका पार्वती के साथ विवाह हुआ। शिव कहते हैं, ‘हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनोवांछित फल देता हूं।’

(समाप्त)
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आगामी लेख:-
विशेष:- “वास्तुशास्त्र” धारावाहिक लेख के आगामी भाग 22 अगस्त के पंचांग से प्रसारित होगे।
1) 16 अगस्त के पंचांग मे “हरियाली तीज” पर धारावाहिक लेख।
2) 18 अगस्त के पंचांग मे “नागपंचमी” पर धारावाहिक लेख।
3.) 20 अगस्त के पंचांग मे “कल्कि जयंती” पर लेख।
4) 21 अगस्त के पंचांग मे “वरलक्ष्मी” पर लेख*

5) शीघ्र ही “शनिदेव की कृपा प्राप्ति हेतु उपाय” पर धारावाहिक लेख।
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जय श्रीराम
कल का पंचांग/ वृहस्पतिवार,17.08.2023
श्री संवत 2080
शक संवत् 1945
सूर्य अयन- दक्षिणायन, उत्तर गोल
ऋतुः- वर्षा-शरद् ऋतुः।
मास- द्वितीय शुद्ध श्रावण मास।
पक्ष- शुक्ल पक्ष ।
तिथि- प्रतिपदा तिथि 5:35 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र सिंह राशि मे।
नक्षत्र- मघा ऩक्षत्र 7:58 pm तक
योग- परिघ योग 7:30 pm तक (अशुभ है)
करण- बव करण 5:35 pm तक
सूर्योदय- 5:51 am, सूर्यास्त 6:59 pm
अभिजित् नक्षत्र- 11:59 pm से 12:51 pm तक
राहुकाल- 2:04 pm से 3:42 pm तक (शुभ कार्य वर्जित )
दिशाशूल- दक्षिण दिशा।

अगस्त शुभ दिन:- 17, 18, 19, 20 (सवेरे 11 तक), 21, 22, 23 (सवेरे 8 तक), 24 (दोपहर 3 उपरांत), 26 (सवेरे 9 उपरांत), 27 (सवेरे 11 तक), 28, 29, 30 (सवेरे 11 तक)

अगस्त अशुभ दिन:- 25, 31.

गण्ड मूल आरम्भ:- 15 अगस्त अश्लेषा नक्षत्र, 1:59 pm से 17 अगस्त को मघा नक्षत्र 7:58 pm तक गंडमूल रहेगें। गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-

17 अग०- सिंह संक्रांति -पुण्यकाल- 7:08 am के बाद सारा दिन)।

19 अग०- हरियाली तीज।

21 अग०- नाग पंचमी।

22 अग०- कल्कि जयंती।

25 अग०- वरलक्ष्मी व्रत।

27 अग०- श्रावण पुत्रदा एकादशी।

28 अग०- प्रदोष व्रत।

29 मंगलवार ओणम।

30 अग०- रक्षा बंधन।

31 अग०- श्रावण पूर्णिमा व्रत/गायत्री जयंती।
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आचार्य मोरध्वज शर्मा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश

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