सिद्धार्थनगर/दिनांक 18 जुलाई 2024
घटना भू-जलस्तर कारण और निवारण/जल संरक्षण का करो प्रयास,जल ही है जीवन की आस.
“जल संरक्षण अपनाना है,जन जन तक जल पहुंचाना है”
सिद्धार्थनगर।आज विकासखण्ड जोगिया में नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग द्वारा दिनांक 16 जुलाई से 22 जुलाई 2024 भूजल सप्ताह कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमे आनंद कुमार श्रीवास्तव अवर अभियंता लघु सिंचाई तथा रमेश कुमार सिंह (BT) ने संबोधित करते हुए कहा कि “जहां भी हो,जब भी संभव हो,वर्षा के जल को संग्रह करें” उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में गिरता हुआ जल स्तर बहुत बड़ी चुनौती है,अगर हम बरसात के पानी को हार्वेस्टिंग सिस्टम के द्वारा जल को संग्रह करने का प्रयास करते हैं तो निकट भविष्य में इसके सार्थक परिणाम दिखाई देंगे। इसलिए हम सबको जल संग्रह के लिए प्रयास करना चाहिए, नहीं तो आने वाले समय में जल संकट की बहुत गंभीर समस्या उत्पन्न होगी। आने वाले समय में यदि हम इस पर प्रयास नहीं करेंगे तो हमारे बच्चो के लिए भविष्य की बहुत बड़ी चुनौती होगी,इसीलिए हमको आज से ही प्रयास करना होगा।
उन्होंने कहा कि आज पृथ्वी के अंदर से जल का दोहन हो रहा है। चाहे शहर हो या गांव हो,हर जगह जल संचय करने का प्रयास कोई नहीं कर रहा है,जल केवल मानव जातियां के लिए नहीं अपितु पेड़ पौधों व जीव जंतुओं के लिए भी जरूरी है। पृथ्वी पर जल के बिना जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। समस्त जीव जगत का आधार जल ही है, मानव शरीर के अंदर चलने वाले समस्त जैवरासयनिक प्रिक्रियाए भी जल के अभाव में रुक ही जाएंगी। क्या आपने कभी सोचा यदि हम ग्रहण जल ग्रहण करना बंद कर दें तो क्या होगा, क्या कभी हमारे क्या कभी हमने कल्पना किया था कि पानी बोतल में पीना पड़ेगा हमारे पूर्वज जो थे नदी कुआ तालाब बावड़ी इसलिए बनाते थे कि जल का संग्रह हो सके। हमने कभी कल्पना नहीं किया था कि पानी बोतलों के में भरकर बाजारों में बिकेगा। भूजल एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है, यह प्रकृति के द्वारा दिया हुआ अमूल धरोहर उपहार है।
पूरे धरातल का दो तिहाई हिस्सा पानी से घिरा हुआ है लेकिन इसमें से दो-तीन प्रतिशत ही पानी हमारे पीने लायक है।
किसी भी राष्ट्र राज्य की संपन्नता जल पर ही निर्भर है।
किसी भी देश की सभ्यता एवं विकास में जल का महत्वपूर्ण योगदान है। आज भूजल के गिरते स्तर से पूरा मानव समाज संकट में है। बढ़ते भूजल प्रदूषण के वजह से आज पूरे मानव जाति पर गंभीर बीमारी का खतरा उत्पन्न हो गया है। हम अपने भौतिक सुख शांति के लिए पृथ्वी से जल का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं। भारत में पीने के पानी व कृषि सिंचाई के लिए जल की समस्या है। देश में 45% ही कृषि भूमि सिंचित है। बाकी 55 प्रतिशत खेती वर्षाधारित बरानी के अंतर्गत आता है। इसके अलावा 91% दालो और 85% तिलहन की खेती बरानी क्षेत्रों में होती है। देश का बहुत बड़ा भू- भाग सूखा क्षेत्र है जो वर्षा पर आधारित है। जो कुल खाद्यान्न में 44% का योगदान देता है।
किसानों को घटते भूजल संकट की जानकारी गोष्ठी आयोजित कर समय समय पर देनी चाहिए।
इसके लिए किसान मेला किस सगोती आज का आयोजन का उनका मार्गदर्शन करते रहना चाहिए। किसान को खेती से अधिक उत्पादन के लिए भूजल व अन्य सिंचाई साधनों के बारे समय समय पर कृषि विभाग द्वारा गोष्ठी आयोजित कर जागरूक करना चाहिए। यदि हमने भूजल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में पेय जल की समस्या तथा विभिन्न आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर भूजल बचा रहा तो हम सभी बचे रहेंगे।
इस कार्यक्रम में जेई एम आई आनंद कुमार श्रीवास्तव, वीडियो आईएसबी शिव बहादुर,ADO पंचायत ओमप्रकाश, GPO आशीष पांडे, रमेश कुमार सिंह (BT) बोरिंग टेक्नीशियन, GPO प्रदीप सिंह,रत्नेश सिंह, कयूम प्रधान व अन्य लोग उपस्थित रहे।