सिद्धार्थनगर: 05 मार्च 2025
आम की फसल में लग रहे बौर को भुनगा एवं मिजकीट व्याधि से बचायें- जिला उद्यान अधिकारी
सिद्धार्थनगर: जनपद में आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिए सम-सामयिक महत्व के कीट एवं रोगों को उचित समय पर प्रबन्धन नितान्त आवश्यक है, क्योंकि बौर निकलने से लेकर फल लगने की अवस्था अत्यन्त ही संवेदनशील होती है। वर्तमान में आम की फसल को मुख्य रुप से भुनगा एवं मिजकीट तथा खर्च रोग से क्षति पहुंचने की संभावना रहती है।
जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि आम की फसल में लगने वाले भुनगा कीट बौर, कोमल पत्तियों एवं छोटे फलों के रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं। प्रभावित भाग सूखकर गिर जाता है. साथ ही यह कीट मधु की तरह का पदार्थ भी विसर्जित करता है जिससे पत्तियों पर काले रंग की फंफूद जम जाती है,फलस्वरुप पत्तियों द्वारा हो रही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया मंद पड जाती है। इसी प्रकार मिजकीट मंजरियों एवं तुरन्त बने फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अण्डे देती है, जिसकी सूंडी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुंचाती है प्रभावित भाग काला पड़कर सूख जाता है।
जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि भुनना एवं मिजकीट के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मिली० प्रति लीटर पानी या क्लोरोपाड्रीफास (20 मि०ली०/ ली०पानी) अथवा डायमेथोएट (2.0 मि०ली०/ली० पानी) की दर से घोल बनाकर छिडकाव करने की सलाह दी जाती है।उन्होंने बताया कि इसी प्रकार खर्रा रोग के प्रकोप से ग्रसित फल एवं ढण्ठलों पर सफेद चूर्ण के सनान फफूंद की वृद्धि दिखाई देती है। प्रभावित भाग पीले पड़ जाते हैं तथा मंजरियों सूखने लगती हैं। इस रोग के बचाव हेतु ट्राइलोमाप 1.0 मिली० या डायनोकैप 1.0 मिली०/ली० पानी की दर से भुनगा कीट से नियंत्रण हेतु प्रयोग किये जा रहे घोल के साथ मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है,बागवानों को यह भी सलाह दी जाती है कि बागों में जब बौर पूर्ण रुप से खिला हो तो उस अवस्था में कम से कम रासायनिक दवाओं का छिडकाव किया जाये, जिससे पर-परागण क्रिया प्रभावित न हो सके। उक्त आशय की जानकारी जिला उद्यान अधिकारी सिद्धार्थनगर द्वारा दिया गया है।