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औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना के निर्देश पर औद्योगिक भूमि आवंटन के लिए औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में निर्धारित की गई समय-सीमा

ब्रेकिंग न्यूज़
लखनऊ-20-07-020

औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना के निर्देश पर औद्योगिक भूमि आवंटन के लिए औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में निर्धारित की गई समय-सीमा

मेगा, मेगा प्लस और सुपर मेगा श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों के लिए फास्ट-ट्रैक मोड में 15 दिनों में भूमि का आवंटन किया जाएगा

यह सुनिश्चित करने के लिए कि निवेशक फास्ट-ट्रैक परियोजनाओं के लिए आवश्यकता से अधिक भूमि प्राप्त नहीं करे, फास्ट-ट्रैक मोड की परियोजनाओं के लिए न्यूनतम रु 2 करोड़ प्रति एकड़ का मानदंड अपनाया जाएगा

आवंटन के लिए उपलब्ध सभी औद्योगिक भूखंड औद्योगिक प्राधिकरणों के जीआईएस प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित किए जाएंगे

ई-नीलामी के माध्यम से भूमि आवंटन के लिए मासिक भूमि आवंटन चक्र अपनाया जाएगा।
योजना बनाकर आवेदनों के सापेक्ष आवंटन के लिए निर्धारित तिथि तक आवेदन प्राप्त होने के बाद 15 दिनों के भीतर बैच-वार भूमि आवंटन किया जाएगा

*लखनऊ, 20 जुलाई 2020ः*

उत्तर प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में और सुधार करने के लिए राज्य सरकार सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में भूमि प्रबंधन और समयबद्ध भूमि आवंटन प्रणाली को पूर्ण पारदर्शिता प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।

*औद्योगिक विकास मंत्री, सतीश महाना* के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने उ. प्र. औद्योगिक निवेश और रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के अन्तर्गत् विभिन्न श्रेणियों की निवेश परियोजनाओं के लिए भूखंडों के आवंटन के लिए समयसीमा निर्धारित कर दी है।

इस सम्बंध में आज जारी शासनादेश के अनुसार मेगा, मेगा प्लस और सुपर मेगा औद्योगिक परियोजनाओं के लिए निवेशक या उद्यमी से आवेदन प्राप्त होने के बाद भूमि का आवंटन फास्ट-ट्रैक मोड से अधिकतम 15 दिनों में किया जाएगा। इसके अतिरिक्त ई-नीलामी के माध्यम से भूमि आवंटन के लिए मासिक भूमि आवंटन चक्र अपनाया जाएगा, अर्थात् निर्दिष्ट तिथि तक प्राप्त आवेदनों पर आवंटन उस माह की अंतिम तिथि तक कर दिया जाएगा। योजना बनाकर आवेदन मांगे जाने की दशा में निर्धारित तिथि तक आवेदन प्राप्त होने के बाद 15 दिनों के भीतर बैच-वार भूमि आवंटन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

*औद्योगिक विकास मंत्री, उ.प्र.,सतीश महाना ने कहा* कि प्रदेश में निवेश के लिए अनेक बहु-राष्ट्रीय व राष्ट्रीय कम्पनियों के निवेश प्रस्ताव, विशेष रूप से डिफेंस व एयरोस्पेस, लाॅजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग एवं इलेक्ट्राॅनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग जैसे फोकस सेक्टरों में प्राप्त हो रहे हंै, अतः न केवल ईज़ आॅफ डूइंग बिज़नेस में सुधार, बल्कि राज्य में बड़े निवेशकों को आकर्षित करने के लिए भी एक पारदर्शी व्यवस्था के अधीन भूमि की सुनिश्चित उपलब्धता व समयबद्ध आवंटन आवश्यक है।
*मंत्री सतीश महाना ने कहा* कि सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरण जीआईएस आधारित एक सुदृढ़ लैण्ड बैंक की स्थापना कर रहे हैं, जिससे सम्भावित निवेशक अपनी पसंद के अनुसार भूमि का चयन पारदर्शी रूप से आॅनलाइन कर सकें।
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग द्वारा जारी शासनादेश के प्राविधानों को विस्तार से बताते हुए *अपर मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, श्री आलोक कुमार ने कहा* कि राज्य के सभी प्रमुख औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिया गया है कि वे औद्योगिक इकाइयों की विभिन्न श्रेणियों के लिए निर्धारित प्रक्रिया और समय-सीमा के अनुसार निवेशकों को भूमि आवंटन सुनिश्चित करें।
*उन्होंने स्पष्ट किया* कि मेगा, मेगा प्लस एवं सुपर मेगा औद्योगिक इकाइयों हेतु फास्ट-ट्रैक मामलों में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी.पी.आर.) के आधार पर ही निवेश का आकलन किया जाएगा। इसके लिए रु. 2 करोड़ का न्यून्तम प्रति एकड़ मानदंड निर्धारित किया गया है ताकि निवेशक द्वारा वास्तविक आवश्यकता से अधिक भूमि न प्राप्त की जाए।

यह निर्देश नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा), यू.पी. राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा), लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (लीडा), गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा), सतहरिया औद्योगिक विकास प्राधिकरण (सीडा) और दिल्ली-मुंबई इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप ग्रेटर नोएडा लिमिटेड (डीएमआईसी आईआईटीजीएनएल) को प्रेषित किए गए हैं।

प्रदेश में *औद्योगिक प्रयोजन के लिए लैण्ड बैंक के सृजन हेतु उठाये जा रहे कदमों के विषय में आलोक कुमार ने बताया* कि औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को सुझाव दिया गया है कि सहमति के आधार पर क्रय की जाने वाली भूमि के लिए कैम्प लगाए जाएं तथा अन्य भू-उपयोग की उपलब्ध भूमि को औद्योगिक भू-खण्डों की मांग के दृष्टिगत् आद्योगिक भू-उपयोग से अदला-बदली की जा सकती है और ऐसी भूमि के वर्तमान भू-उपयोग के लिए भविष्य में अधिग्रहीत की जा रही भूमि को आरक्षित किया जा सकता है। इसी प्रकार किसी विशेष औद्योगिक श्रेणी के लिए आरक्षित औद्योगिक क्षेत्र में मांग के अनुरूप न्यूनतम क्षेत्रफल आरक्षित करते हुए अवशेष क्षेत्रफल को अन्य उद्योगों को आवंटित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त लम्बा समय बीतने के बाद भी इकाइयां स्थापित न किए जाने पर आवंटन निरस्त किया जाए। यूपीसीडा से अपेक्षा की गई है कि सार्वजनिक उपक्रमों की भूमि के विक्रय के प्रस्तावों पर शीघ्र कार्यवाही की जाए।
उल्लेखनीय है कि राज्य की औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोतसाहन नीति-2017 के अन्तर्गत् निवेश, रोजगार और क्षेत्र के आधार पर औद्योगिक इकाइयों की विभिन्न श्रेणियों को निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है-

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