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दिनाँक-05-08-020
यूपी: वस्त्रोद्योग नीति बना दी, विसंगतियां समझने में ढाई साल लगा दिए, अब होगा बदलाव
सरकार की अच्छी मंशा और नीतियों को नौकरशाही किस तरह बेमतलब बना देती है, हैंडलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एवं गारमेंट पॉलिसी-2017 इसका उदाहरण है। लंबे विचार-विमर्श और माथापच्ची के बाद तैयार इस नीति में खामियों की भरमार है। हालात ये हैं कि नीति के तहत निवेशकों को मिलने वाले प्रोत्साहनों से संबंधित प्रस्तावों का परीक्षण तक नहीं हो पा रहा है।
बढ़ाने की बात हुई तो अफसरों को ढाई वर्ष बाद नीति की खामियां याद आईं। अब इन खामियों को दूर करने की तैयारी है। इसके लिए कैबिनेट प्रस्ताव तैयार किया गया है।
योगी सरकार ने मार्च-2017 में सत्ता संभालने के बाद एक वर्ष में जो एक दर्जन नई नीतियां जारी की थी, उसमें हैंडलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एवं गारमेंट पॉलिसी-2017 भी शामिल थी। सरकार ने फरवरी-2018 की इन्वेस्टर्स समिट से पहले 25 जनवरी-2018 को इस नीति की अधिसूचना जारी की थी। तब से कई बार नीति के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। लेकिन ढाई वर्ष बाद अब विभाग का कहना है कि नीति के तहत आए प्रस्तावों के परीक्षण में कठिनाई आ रही है। नीति में कई महत्वपूर्ण तकनीकी शब्दों की परिभाषा ही नहीं है। इससे प्रस्तावों के परीक्षण में स्पष्टता नहीं आ पा रही है।
अब नीति में तकनीकी शब्दों की परिभाषा स्पष्ट करने व अन्य प्रावधानों के लिए कैबिनेट प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस पर विभागों से परामर्श चल रहा है। इसे जल्दी ही कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की योजना है। विभाग का दावा है कि नीति में इन प्रावधानों को शामिल करने से निवेशकों को नीति के तहत पारदर्शी तरीके से प्रोत्साहन व सहूलियतों का लाभ मिल सकेगा।
(लखनऊ से न्यूज़ 17 इंडिया संवाददाता राजन द्विवेदी की रिपोर्ट———)